शिक्षा विभाग में चाइल्ड केयर लीव को लेकर बवाल

भोपाल। स्कूल की बोर्ड परीक्षाओं और प्रैक्टिकल एग्जाम्स को देखते हुए भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) धर्मेंद्र शर्मा ने चाइल्ड केयर लीव पर गईं महिला शिक्षकों की छुट्टियां निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश निकलते ही बवाल मचा तो स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा-‘सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया।’ स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने गलती से इस आदेश के जारी होने की बात कही है। 

डीईओ शर्मा ने अपने आदेश में राज्य सरकार के गृह मंत्रालय के उप सचिव द्वारा 29 दिसंबर 2015 को जारी पत्र क्रमांक 35-15/2009/दो/सी-1 का हवाला भी दिया। धर्मेंद्र शर्मा ने आदेश में लिखा कि जिन-जिन व्याख्याताओं, शिक्षकों और सहायक शिक्षकों द्वारा चाइल्ड केयर लीव ली है, उन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। छुट्टी पर गए सभी लोग तत्काल स्कूल प्राचार्य के सामने अपनी उपस्थिति दें। यदि वे हाजिर नहीं होते हैं तो फरवरी माह का वेतन रोक दिया जाएगा। डीईओ ने आदेश की नकल राज्य के लोक शिक्षण आयुक्त, कलेक्टर भोपाल और सीईओ जिला पंचायत भोपाल को भी भेजी। इसी के बाद हलचल मच गई। यहां बता दें कि दो वर्ष की चाइल्ड केयर लीव उन महिलाओं को मिलती है, जिनका बच्चा 18 साल से कम उम्र का है। 

अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा चाइल्ड केयर लीव के संबंध में शासन ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया। 

डीईओ धर्मेंद्र शर्मा: माशिमं सचिव के पत्र के बाद ही आदेश जारी किया है। इसमें परीक्षाओं को देखते हुए शिक्षकों की सेवाओं को अत्यावश्यक सेवाएं घोषित करने की बात कही थी। अादेश में 15 फरवरी तक जानकारी मांगी है कि कितने लोग चाइल्ड केयर लीव पर हैं। 

स्कूलों में 15 फरवरी से प्रैक्टिकल की कक्षाएं शुरू हो रही है। बोर्ड के एग्जाम भी 1 मार्च से शुरू हो रहे हैं। शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस समय प्रदेश में शिक्षकों की संख्या चार लाख के करीब है। 60 फीसदी महिलाएं हैं। कई स्कूलों से शिकायत मिली कि साइंस (बायोलॉजी, फिजिक्स और कैमिस्ट्री) की कई शिक्षिकाएं अवकाश पर हैं। इसी बात को लेकर शिक्षा विभाग चिंतित है। माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने एक फरवरी से बोर्ड कक्षाओं के मामले में एस्मा लागू कर दिया है कि कोई छुट्टी पर नहीं जाएगा। अन्य कक्षाओं के लिए भी मामला चल रहा है। 

15 फरवरी से प्रैक्टिकल, एक मार्च से बोर्ड परीक्षाएं 
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी : यह आदेश गलती से निकल गया। मसला अध्यापकों से जुड़ा है, जो निकायों, जनपद व जिला पंचायत के अधीन आते हैं। हमारे विभाग में शिक्षक, लेक्चरर तथा संविदा शिक्षक आते हैं। इनकी चाइल्ड केयर लीव पर अभी निर्णय नहीं हुआ। 

यह अमानवीय तरीका है : संघ 
समग्र शिक्षक व्याख्याता प्राचार्य कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने इसे अमानवीय तरीका बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जब चाइल्ड केयर लीव घोषित की है तो महिला जब चाहे उसे ले सकती है। कई माताएं फरवरी या मार्च में इसलिए छुट्टी लेती हैं क्योंकि अपने बच्चों के एग्जाम के समय साथ रहें। उन्हें मदद करें। कई माताएं तो दूसरे राज्यों में पढ़ रहे बच्चों के पास भी चली जाती हैं। इसीलिए यह अवकाश लिया जाता है। छुट्टी मंजूर करने से पहले विभाग को विचार करना चाहिए था कि परीक्षाएं सुचारू रूप से हो जाएं। 
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