इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक केस में लिप्त होने के आधार पर कर्मचारी के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं रोका जा सकता। ऐसा तभी किया जा सकता है कि जब कर्मी के अपराध से सरकार को राजस्व की हानि हुई हो और जिसकी भरपाई भुगतान रोक कर की जानी हो। इसी के साथ कोर्ट ने कमाण्डेंट 8वीं पीएसी बरेली को विपक्षी अमर सिंह का प्रत्यावेदन एक माह में निर्णीत कर उ.प्र. पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के वित्त नियंत्रक को सूचित करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि वित्त नियंत्रण अगले एक माह में विपक्षी को देय भुगतान सुनिश्चित करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर आदेश का पालन नहीं किया जाता तो दोनों अधिकारी 25 अप्रैल को हाजिर हो।
यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी और न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खण्डपीठ ने उ.प्र. राज्य की विशेष अपील पर दिया है। अपील में एकलपीठ के अधिकारियों को प्रत्यावेदन निर्णित करने के आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा कि केवल आपराधिक मामला लंबित हो तो इस आधार पर सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं रोका जा सकता। विपक्षी का कहना था कि उसने सरकार को वित्तीय हानि नहीं पहुंचायी है और न ही उसके खिलाफ वसूली कार्यवाही चल रही है। एकल पीठ का आदेश नियमानुसार है। याची ने 4 जनवरी 14 को कमांडेंट को प्रत्यावेदन दिया है, जिसे अभी तक निर्णित नहीं किया गया है।