
कंपनी को 1 फरवरी 2015 की वास्तविक खपत के आधार पर बिजली का बिल जारी करने का आदेश दिया है। बलबीर सिंह अगस्त 2012 में अपने पुत्र के यहां दिल्ली रहने चले गए। घर पर ताला लगा था और कोई बिजली उपकरण चालू नहीं था। फरवरी 2015 में बलबीर सिंह लौटकर आए तो उनके यहां कंपनी ने 78 हजार रुपए का बिजली का बिल भेज दिया, जिसे लेकर वे कंपनी के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने मीटर की वास्तविक खपत बताई।
जानकारी दी कि जब मकान पर ताला लगाकर गए थे तब खपत 10 हजार 380 यूनिट थी और फरवरी 2015 में 10 हजार 499 यूनिट है। 115 यूनिट का अंतर है। इसलिए 669 रुपए का बिल आना चाहिए था, फिर 78 हजार 663 रुपए का बिल कैसे दिया गया। कंपनी ने बिल में सुधार करने से इनकार कर दिया। वह जोन से लेकर रोशनी घर तक बिल लेकर घूमे, पर कंपनी का एक ही जवाब मिला कि बिल भरना पड़ेगा।
इसके बाद उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। कंपनी की ओर से जवाब पेश किया गया कि परिवादी ने कोई शिकायत नहीं की है और न ही कनेक्शन के संबंध में अवगत कराया। जो बिल दिया गया है, वह सही है। पर उपभोक्ता फोरम ने माना कि कंपनी ने 27 जुलाई 2012 से फरवरी 2015 तक का गलत बिल दिया है। इसलिए इस अवधि के बीच जारी सभी बिलों को निरस्त किया जाता है। कंपनी फरवरी 2015 के बाद से मीटर खपत के आधार पर नया बिल जारी करे।
परिवाद में ये दिए तथ्य
- अगर कोई उपभोक्ता लगातार तीन महीने तक बिजली का बिल नहीं भरता है तो उसका कनेक्शन काटने का प्रावधान है। 6 महीने बाद उस कनेक्शन चेक किया जाना चाहिए, लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया।
- घर पर ताला लगा होने की वजह से मीटर की रीडिंग नहीं हो सकी, लेकिन महीने की खपत के हिसाब से औसत बिल घर पर डाले गए।