
दो साल जेल में बंद सहारा श्री यानी सुब्रत रॉय ने किताब लिखी है जिसका शीर्षक है थॉट फ्रॉम तिहाड़ और लाइफ मंत्रास हैं. जिनका विमोचन समूह के 39 वें स्थापना दिवस पर देश भर के ऑफिस में जोर-शोर से किया गया. इन किताबों को रूपा पब्लिकेशंस ने छापा है. जिनके बारे में कहा जा रहा है कि जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि देश के निवेशकों का पैसा दबाए बैठे एक कंपनी के मालिक को चिंता करने के बजाए किताब लिखना ज्यादा अच्छा लगा.
खास बात ये है कि उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि ' आखिर ऐसा मैंने क्या किया है जो मुझे सजा मिल रही है. अगर किसी शख्स की सारी इच्छाएं पूरी कर दी जाएं तो उसको ढेर सारा पैसा दे दिया जाए लेकिन शर्त थोप दी जाए कि उसे अकेला रहना है. न टीवी है, न रेडियों है और न वो किसी से बात कर सकता है. तो वो कितने दिन अकेले रह सकता है, 10 दिन, 20 दिन उसके बाद वो पागल हो जाएगा. वो किसी से दर्द बांटने के लायक भी नहीं होगा. अगर कोई मेरी बात का विश्वास न करे तो मुझसे आकर व्यक्तिगत मिल सकता है'. ये जीवन दर्द भरा है लेकिन मैं तनावमुक्त हूं.
आपको बता दें कि सुप्रीमकोर्ट ने सुब्रत रॉय और कंपनी के दो निदेशकों को रिहा करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जमा करने की शर्त रखी है. जिसके कोर्ट ने कहा कि अगर सहारा चाहे तो इसके लिए वो अपनी संपत्ति बेच सकता है.