
अपने उक्त आरोपों को स्पष्ट करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि शास्त्रोल्लेखित मान्य भारतीय पंचांगों और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित किये गये वर्ष-2016 के कैलेंडर में भी बसंत पंचमी 13 फरवरी, शनिवार को ही घोषित की गई है, वहीं विभिन्न न्यायालयों ने भी लंबित याचिकाओं में पुरातत्व विभाग के नियमों और हवालों को ही तरजीह दी है, किंतु बहुसंख्यक हिंदुओं के कथित पोषक संघ परिवार एवं विश्व हिन्दू परिषद् अपने गुप्त एजेंडे़ के तहत जुमे की नमाज़, 12 फरवरी, शुक्रवार को बसंत पंचमी पर यहां सरस्वती पूजन कर अपनी जिद पूरी करना और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना चाह रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि आरएसएस-विहिप अपनी साम्प्रदायिक नीतियों का निर्वहन करते हुए केंद्र और राज्य में अपनी सरकारों के काबिज होने के दंभ में न्यायालय, शास्त्र उल्लेखित पंचांगों और सरकारी कैलेंण्डर की अवहेलना करते हुए ऐसा सब कुछ कर रही है।
श्री मिश्रा ने तार्किक उदाहरण देते हुए कहा है कि पंचांगों में तिथियों का आंकलन सूर्योदय के आधार पर ही मान्य होता है, जिसे उदयातिथि संबोधित किया जाता है, किंतु इन तमाम आधारों से इतर उक्त ताकतें अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने पर आमादा हैं। उन्होंने संघ-विहिप को चुनौती भरे लहजे में कहा है कि यदि वे कांगे्रस के आरोपों पर सार्वजनिक शास्त्रार्थ करना चाहें तो पार्टी उन्हें सीधी चुनौती देती है।