SI की भर्ती में मिसेज मुख्यमंत्री पर घूसखोरी का आरोप

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस पत्रकार वार्ता के माध्यम से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ की अपेक्षा सीबीआई द्वारा व्यापमं महाघोटाले की जांच किए जाने के उपरांत एक बड़ा खुलासा कर रही है जिसके तहत पार्टी का आरोप है कि वर्ष -2006 में व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस सब इन्सपेक्टर भर्ती परीक्षा में मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह ने मुरैना निवासी कुलदीप यादव जो एसएएफ में सिपाही था और प्रशान्त यादव नामक व्यक्ति से 5-5 लाख रूपये लेकर उनका चयन करवाया। 

अपने इस आरोप को स्पष्ट करते हुए पार्टी का कहना है कि यह बात 12 अगस्त 2015, बुधवार को  प्रातः 7.15 बजे दतिया निवासी अशोक यादव नामक व्यक्ति द्वारा उनके मोबाईल फोन 99262 48893 से किए गए वार्तालाप के दौरान सामने आई है । यह वार्ता तीन मिनट सात सेकेण्ड की है। आॅडियों क्लिप में अशोक यादव नामक व्यक्ति ने बताया है कि मैं खुद भी इस परीक्षा में शामिल हुआ था, किन्तु 5 लाख रूपये की व्यवस्था न होने की वजह से मेरा चयन नहीं हो पाया था और कुलदीप और प्रशान्त यादव जो किरार जाति के ही है, का चयन सब इन्सपेक्टर परीक्षा में हो गया था। 

क्लीपिंग में यह बात भी स्पष्ट सामने आई है कि पैसों का लेन-देन व्यापमं महाघोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत हासिल कर चुके आरोपी मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और मुख्यमंत्री की ही कृपा से राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त कर चुके डाॅ. गुलाबसिंह किरार के तानसेन नगर, राजभवन कोठी, ग्वालियर में हुआ है, जहां स्वयं साधना सिंह भी मौजूद थीं। 

कांग्रेस इस आॅडियो क्लिप को जो उसे अशोक यादव से वार्तालाप के बाद प्राप्त हुई है, को शपथ-पत्र के साथ सीबीआई को सौंपकर मांग करेगी कि इसकी सूक्ष्म जांच कराई जाये और जांच उपरांत संबंधितों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की जावे। पार्टी अपने शपथ- पत्र के साथ अशोक यादव से हुई वार्तालाप का क्लीपिंग सीबीआई को भी सौंपकर मांग करेगी कि इस क्लीपिंग की जांच कराई जाए, यह भी पता लगाया जाए कि प्रशान्त यादव और कुलदीप यादव का चयन योग्य प्रतिभाओं को दर-किनार कर किस आधार पर किया गया ?

पार्टी सीबीआई से यह भी आग्रह करती है कि सीबीआई जांच की मांग से घबराती रही राज्यसरकार द्वारा बार-बार यह कहा जाता रहा कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित एसआईटी की निगरानी में पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ द्वारा निष्पक्ष जांच की जा रही है, किन्तु सच्चाई यह थी कि राज्यसरकार के नियंत्रण में कार्य कर रही जांच एजेंसी एसटीएफ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के निर्देशों पर जांच की स्टाईल ”पिक एंड चूज“ वाली रही है । लिहाजा, कांग्रेस पार्टी द्वारा उल्लेखित निम्न प्रभावित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को सीबीआई जांच में शामिल किया जायें कि ”ऐसा क्यों न हो सका“ ? 

केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हाल ही में सरसंघ कार्यवाह पद से हटाए गए सुरेश सोनी के विरूद्ध तमाम प्रमाणों में उल्लेखित होने के बावजूद भी एसटीएफ ने उन से पूछ-ताछ क्यों नहीं की ?
व्यापमं के जेल में बंद नियंत्रक पंकज त्रिवेदी द्वारा एसटीएफ के समक्ष आॅन रिकार्ड यह कहे जाने पर कि मैंने 42 लाख रूपये व्यापमं की तत्कालीन चेयरमेन आइएएस रंजना बघेल को दिए थे, को एसटीएफ ने किसके दबाव में आरोपी की जगह सरकारी गवाह बनाया ? इसी प्रकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के निकटस्थ राघवेन्द्रसिंह तोमर के विरूद्ध भी एसटीएफ के पास तमाम प्रमाण मौजूद थे, उसके बावजूद भी उसे किसके दबाव में सरकारी गवाह बनाया गया ? 
मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधनासिंह की बहन रेखासिंह की बेटी प्रियंका ठाकुर का राजधानी भोपाल के चिरायु अस्पताल में प्रवेश/चयन किन योग्यताओं के आधार पर हुआ, एसटीएफ ने इसे जांच प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया ? 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उपयोग में लाई जा रही बीएसएनएल की सिम नंबर 94256 09855 जिसके साथ बीएसएनएल की योजना के तहत एक अन्य सिम 94256 09866 आवंटित थी जिसका उपयोग श्रीमती साधनासिंह करती थी । इस सिम की  काॅल डीटेल जिसमें कई आरोपियों के चयन कराए जाने व अन्य बातों की जानकारी और व्यापमं के अधिकारियों से उसकी संबंद्धता एसटीएफ ने हासिल कर ली थी, वह कहां गायब हो गई और व्यापमं घोटाला उजागर होने के बाद 27 मार्च, 2014 के बाद यह दोनों ही नंबर एकाएक बंद क्यों कर दिए गए ? 
मुख्यमंत्री के कई मामलों के राजदार और अब उनके प्रमुख सचिव एस.के.मिश्रा जिनका मोबाईल नंबर 94251 85550 है, इस मोबाईल नंबर से व्यापमं घोटाले को लेकर जेल में बंद आरोपी सुधीर शर्मा से सम्पर्कों की बात प्रामाणित  तौर पर सामने आई थी और उसकी डीटेल कांग्रेस पार्टी ने एसटीएफ को भी दी थी, किन्तु एसटीएफ ने उसे जांच प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया और एस.के.मिश्रा से पूछ-ताछ करना भी मुनासिब क्यों नहीं समझा ? 
परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा - 2012 के चयन में भी हुए भारी भ्रष्टाचार को लेकर एसटीएफ ने पहले तो एफआईआर हीं दर्ज नहीं की और भारी दबाव के बाद दर्ज एफआईआर में 39 चयनित आरक्षकों व व्यापमं अधिकारियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया । बाद में हाल ही में 42 परिवहन आरक्षकों को सेवा से बर्खास्तगी की गई, यानि सरकार द्वारा परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में घोटाले को स्वयं स्वीकार कर लिया गया है, किन्तु उस दौर के तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा उनके निजी सचिव दिलीप राज द्विवेदी दो वरिष्ठ आईपीएस, तत्कालीन परिवहन आयुक्त एसएस.लाल और अतिरिक्त परिवहन आयुक्त तथा मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आर.के.चैधरी की भी संदिग्ध भूमिकाओं को जांच कर उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया ?
इसीप्रकार परिवहन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा हेतु व्यापमं/राज्यसरकार द्वारा प्रसारित विज्ञापन में 198 परिवहन आरक्षकों की सीधी भर्ती करने हेतु अधिसूचना मई-2012 में प्रकाशित कराई गई, किन्तु बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिये बगैर अवैधानिक तरीकों से नियम विरूद्ध 332 परिवहन आरक्षकों का चयन कर लिया गया । यह अवैध कार्य वर्तमान मुख्य सचिव एंटोनी डिसा, जो उस वक्त एसीएस (परिवहन) ने अपने हस्ताक्षर से राजनैतिक दबाववश किया है, किन्तु इतने बड़े गंभीर कदाचरण पर भी एसटीएफ ने किसी के विरूद्ध भी कोई भी कार्यवाही और न ही पूछ-ताछ मुख्यमंत्री के दबाव में की, हमारी जानकारी में परिवहन विभाग द्वारा इस फाईल को ही गायब कर दिया गया है । लिहाजा, इसकी सूक्ष्म जांच की जाकर संबंधितों के विरूद्ध भी प्रकरण दर्ज किया जाए ।   
वन रक्षक भर्ती परीक्षा - 2013 में अपात्र व्यक्ति को चयन कराने हेतु प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया की पत्नी डाॅ. सुधा मलैया की भूमिकाएं स्पष्ट तौर पर सामने आई हैं, उससे संबंद्ध आरोपी मुकेश राय जिसे छतरपुर से गिरफ्तार कर  एसटीएफ ने विगत दिनों 5 दिनों तक अपनी कस्टडी में रखने के बाद उसे क्यों और किसके दबाव में छोड़ा तथा डाॅ. सुधा मलैया से पूछ-ताछ तक नहीं की, यह किसके दबाव में हुआ? 
व्यापमं महाघोटाला उजागर होने की मुख्य कडी़ इंदौर का राजेन्द्र नगर पुलिस स्टेशन है, जहां इससे संबद्ध अपराधियों की पहली गिरफतारियां हुई थीं । इसकी व्यापकता उजागर होने पर जांच प्रक्रिया से इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच को भी जोड़ दिया गया। इस दौरान पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपी डाॅ. जगदीश सगर की गिरफ्तारी इंदौर क्राइम ब्रांच ने मुंबई में बतायी । क्राइम ब्रांच ने डाॅ. जगदीश सगर से वहां 50 लाख रूपये, रीवा मेडीकल कालेज में डाॅ. सगर के साले से 1.20 करोड़ रूपये, ग्वालियर मेडीकल कालेज में अध्ययनरत उसकी पत्नी अन्य भाईयों से 1.27 करोड़ और डाॅ. सगर की निशानदेही पर इंदौर के हवाला व्यापारी कांति भाई से संबंधित 1.80 करोड़ रूपयों के दस्तावेज डाॅ. सगर से प्राप्त कर इंदौर के एमजी रोड स्थित एजेंट से हवाले के माध्यम से हस्तांतरित किये जाने वाले 1.80 करोड़ रूपये जब्त किये गये हैं। यह दस्तावेज और बरामद करोड़ों रूपयों की धनराशि शासकीय रिकाॅर्ड से गायब क्यों हैं ? 


कांग्रेस पार्टी की मांग है कि उक्त सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर वर्तमान जांच एजेंसी सीबीआई संज्ञान लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की मंशाओं के  अनुरूप उल्लेखित आरोपियों के विरूद्ध नियम संगत कार्यवाही करें, ताकि मुख्यमंत्री के दबाव मे ”पिक एंड चूज“ की तर्ज पर कार्य कर रही  पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ की अविश्वस्त कार्य शैली सामने लाई जा सके । 

कांग्रेस की यह भी मांग है कि अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर मध्यप्रदेश के सम्मान को कलंकित और लाखों नौजवानों की पीढ़ियां बर्बाद कर देने वाले इस महाघोटाले की जांच में भ्रष्टाचार और राजनैतिक दबाव के कारण आरोपियों को सहयोग करने वाले एसटीएफ व क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के विरूद्ध भी सीबीआई प्रकरण दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी भी करे । 
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