मोदी सरकार ने बंद किया RTI का प्रचार प्रसार

नई दिल्ली: केंद्र की NDA सरकार का दावा है कि उसने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है लेकिन NDA सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि उसने इस वित्त वर्ष में सूचना के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून को लोगों तक पहुचाने के लिए जो खर्च किया वह अभी तक का सबसे न्यूनतम  है।    

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सूचना का अधिकार कानून के प्रचार प्रसार और उसे प्रोत्साहन देने के लिए मात्र 1.67 करोड़ रूपये खर्च किये हैं, यह पिछले वर्ष की तुलना में 80 प्रतिशत कम है और वित्त वर्ष 2008.09 के बाद से सबसे कम राशि है।

इस पहल के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार और राजग के कार्यकाल में पिछले वित्त वर्ष के दौरान उदारतापूर्वक धन आवंटित किया गया था । इस कानून के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए आम नागरिकों को 10 रूपये के शुल्क का भुगतान करना होता है।

पुणे स्थित आरटीआई कार्यकर्ता विहार धुर्वे के आवेदन के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि 2008.09 में इस पारदर्शिता कानून को प्रोत्साहित करने के अभियान में विज्ञापन एवं प्रचार मद में 7.30 करोड़ रूपया खर्च किया गया था । 2009.10 में इस उद्देश्य के लिए 10.31 करोड़ रूपये और 2010.11 में 6.66 करोड़ रूपये खर्च किये गए थे ।

2011.12 में आरटीआई के प्रचार प्रचार के लिए 16.72 करोड़ रूपये, 2012.13 में 11.64 करोड़ रूपये और 2013.14 में 12.99 करोड़ रूपये खर्च हुए ।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भाजपा नीत राजग के शासनकाल के दौरान 2014.15 में इस मद में 8.75 करोड़ रूपये खर्च किये गए जबकि चालू वित्त वर्ष में 1.67 करोड़ रूपये खर्च किये गए हैं।

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