भोपाल। राजधानी में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीपीसीबी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राज्य सरकार को नोटिस दिया है।
एनजीटी ने पीसीबी से पूछा है कि नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में बताए गए विभिन्न वायु प्रदूषण मानकों पर उनके द्वारा अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई है। एनजीटी ने राज्य शासन से भी वायु प्रदूषण रोकने के लिए अब तक की गई कार्रवाईयों की जानकारी तलब की है।
पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष चंद्र पांडे ने शहर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर सोमवार को एनजीटी में याचिका दायर की। इस दौरान पीसीबी द्वारा जारी भोपाल के पिछले छह महीने के प्रदूषण की स्थिित की रिपोर्ट प्रस्तुत की। पीसीबी की इस रिपोर्ट के लिए सैंपल सीईटीपी गोविंदपुरा, मृगनयनी हमीदिया रोड, पर्यावरण परिसर, कोलार थाना व एकेवीएन ऑफिस औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप से लिए गए थे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया कि पीसीबी की रिपोर्ट में प्रदूषण पैदा करने वाले खतरनाक धूलकणों का मान डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित अधिकतम मान(50 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) से 12 गुना अधिक आंका गया है। रिपोर्ट मे सबसे अधिक मान नवंबर में पर्यावरण परिसर के लिए 616 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है जो कि बहुत खतरनाक स्थिति है। बारिश के महीनों में भी भोपाल के अधिकांश जगहों के लिए आरएसपीएम का मान डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मान से 5 से 6 गुना अधिक पाया गया। यह भी स्थिति चिंताजनक है।
10 साल पुराने डीजल वाहनों पर लगे रोक
याचिका में भोपाल में भी 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर रोक लगाने, खुले में चल रहे निर्माण कार्यों को तत्काल प्रतिबंधित करने, शहर के विभिन्न स्थानों पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग डिस्प्ले सिस्टम लगाने और सीएनजी फ्यूल्स को भी शुरू करने की मांग की गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी।
आरएसपीएम 2.5 की स्थिति खराब
पांडे ने अधिक खतरनाक सूक्ष्म कणों पीएम 2.5 की रिपोर्ट का भी विस्तृत उल्लेख करते हुए बताया कि भोपाल के हमीदिया क्षेत्र के लिए इन सूक्ष्म कणों का मान डब्लूएचओ की तय सीमा से 11 गुना अधिक प्राप्त हुआ है।
जबकि भोपाल स्थित अन्य क्षेत्रों के लिये यही मान 8 गुना से अधिक मिला है। याचिका में शहर के विभिन्न स्थानों पर नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साईड से उत्पन्न प्रदूषण भी अपनी निर्धारित सीमा से बहुत अधिक प्राप्त होने की जानकारी दी गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा सीपीसीबी द्वारा जारी वायु प्रदूषण की उस रिपोर्ट को भी प्रस्तुत किया गया जिसमें भोपाल मे वायु प्रदूषण की स्थिति को क्रिटिकल बताया गया है।