
मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता दमोह निवासी समाजसेवी दिवाकर कर्माकर का पक्ष अधिवक्ता अमित मिश्रा व आशीष श्रीवास्तव ने रखा। राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली खड़े हुए।
नगरीय प्रशासन मंत्री रहते की थी अनुशंसा- उन्होंने दलील दी कि राज्य के मौजूदा वित्त मंत्री जयंत मलैया ने 2005 में नगरीय प्रशासन मंत्री रहने के दौरान दमोह के मॉडल स्कूल के खेल के मैदान में दुकानों के निर्माण की सिफारिश की थी। लिहाजा, सचिव नगरीय प्रशासन, कलेक्टर दमोह व सीएमओ नगर पालिका दमोह सहित अन्य के साथ उन्हें नामजद पक्षकार बनाकर जनहित याचिका दायर की गई।
बहस के दौरान बताया गया कि मॉडल स्कूल के प्राचार्य ने नगर पालिका दमोह के साथ अनुबंध करके मॉडल स्कूल के खेल के मैदान में दुकानों का निर्माण करा लिया। इससे स्कूल के 1200 बच्चों का बड़ा नुकसान हुआ है। नियमानुसार स्कूल का खेल का मैदान बच्चों के शारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक होता है।