मालवा में सुलग रहे हैं साम्प्रदायिक शोले, रोको इन्हे

संदीप नाईक। मप्र में इन दिनों अपेक्षाकृत ढंग से दंगों की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। खास करके मालवा क्षेत्र में यह संभावनाएं बढ़ गई है और स्थिति प्रशासन की पकड़ से दूर होती जा रही है। यदि मै कहूं पुलिस का खुफिया तन्त्र और मुखबिरी का जाल फेल हो चुका है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

इंदौर में पिछले दिनों एक समुदाय विशेष ने जिस तरह से रीगल चौराहे पर खड़े होकर जो कार्यवाही की और डर पैदा करने का काम किया था, वह अब मालवा के सुदूर इलाकों में नजर आने लगा है। मालदा, कमलेश तिवारी के बयानों से इस मालवा का कोई लेना-देना नहीं है, परन्तु पिछले दो-तीन दिनों से देवास में तनाव बना है और आज आखिर में जो परिणाम निकले है वह बेहद चिंताजनक हैं। 

दो दिन पहले मोती बंगला स्थित संघ की शाखा में बच्चों को खेलते हुए कुछ युवाओं ने मार पीट की तो थोड़ा मामला संगीन हो गया था, प्रशासन ने कार्यवाही की परन्तु कुछ लोगों को लगा कि यह पक्षपात पूर्ण कार्यवाही थी, लिहाजा उन्होंने टीआई, कोतवाली को बर्खास्त करने की बात की। सुबह जब एक शौर्य यात्रा निकल रही थी, तो एक दूकान के सामने कुछ युवा समूह में आ गये और ईंट फेंकी और एक विशेष रंग का झंडा निकालकर फाड़ दिया, जिससे दूसरे समुदाय के लोग भड़क गए और उन्होंने उस युवा की पिटाई कर दी, बाद में दो तीन स्थानों पर तोड़फोड़ हुई, कार के शीशे तोड़े गए, मारपीट हुई और दो चार दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया। देखते ही देखते बाजार बंद हो गया हो- अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। प्रशासन ने कलेक्टर, और पुलिस कप्तान के साथ मिलकर भारी पुलिस बल के साथ एक पैदल मार्च शहर में निकाला और कुछ स्थानों पर उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए हल्का फुल्का लाठी चार्ज भी किया, बाद में पुलिस ने तीन चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

अब इंदौर के बाद देवास में यह घटना हुई है। अगले माह धार में भोजशाला के समय फिर यह होने की आशंका है जो कि प्रशासन के लिए अब एक नियमित अभ्यास बन ही गया है। क्या इंदौर और उज्जैन रेंज के आईजी और कमिश्नर, एसपी और कलेक्टर्स साहेबान को इस बात का कोई अंदेशा नहीं है कि यह घटना मात्र एक बड़ी होने वाली घटना का पूर्वाभास है, प्रशासन को समय रहते दोनों पक्ष के वरिष्ठ लोगों को बुलाकर बात करनी चाहिए और गंभीर चेतावनी देकर ऐसी घटनाएं फिर ना हो इस पर जोर देना चाहिए साथ ही दोनों समुदाय के युवाओं को रचनात्मक कामों में लगाकर रखना चाहिए, या पकड़े जाने पर बगैर किसी राजनैतिक दबाव के कड़ी कार्यवाही करना चाहिए।
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