ज्यादा जरूरी है, पड़ौसियों की वाहवाही से

राकेश दुबे@प्रतिदिन। और अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पठानकोट जा रहे हैं,  पडौसियों से मिले तोहफे के निशान देखने। पडौसियो से सम्बन्ध सुधार प्रक्रिया का तोहफा है यह, जो यह बताता है कि भीतर से कितने कमजोर है हम। यदि हम अपने पड़ोसी से संबंध सुधारना चाहते हैं, तो पहले हमें अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाना होगा और यह मानकर चलना होगा कि वहां की सेना तथा आतंकी गुट इसमें कदम-कदम पर बाधा डालेंगे। जिस तरह से वाजपेयी की लाहौर यात्रा के समय तत्कालीन सेना प्रमुख मुशर्रफ प्रोटोकॉल के अनुसार लाहौर गवर्नर हाउस में स्वागत के लिए मौजूद नहीं थे, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के समय जनरल राहील शरीफ की लाहौर हवाई अड्डे पर गैर मौजूदगी दर्शाती थी कि वहां की सेना दोनों मुल्कों के रिश्ते की गर्मजोशी से खुश नहीं है। अब तो साफ दीखता है कि पाकिस्तान सरकार का आतंकी गुटों और सेना पर कोई नियंत्रण नहीं है।

पाकिस्तान के साथ शांति एवं अच्छे संबंधों की आशा रखने वालों को ऐसी हरकतों के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि वहां की सेना भारत को दुश्मन मानती है। वह यह भी जानती है कि सीधे मुकाबले में वह भारत से नहीं जीत सकती, इसलिए उसने भारत के विरुद्ध आतंकवाद के जरिये परोक्ष युद्ध की योजना बनाई। आतंकी घटनाएं करवाने की जिम्मेदारी उसने आईएसआई को सौंप रखी है और भारत विरोधी आतंकी संगठनों की बागडोर आईएसआई के नियंत्रण में है।

कुछ समय पहले आईबी को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दिसंबर के दूसरे हफ्ते में एक गुप्त बैठक हुई, जिसमें भारत में दोबारा आतंकी गतिविधियां शुरू करने और जम्मू को गुरदासपुर से जोड़ने वाली सड़क पर कब्जा करके जम्मू-कश्मीर को बाकी देश से अलग-थलग करने की योजना बनी। इस क्षेत्र में अक्सर पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ होती है।

ऐसे में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों को पाकिस्तान की सेना एवं उसके आतंकी गुटों से मिलने वाली चुनौतियों का आकलन करना चाहिए। खासकर, उन्हें जमीनी एवं जल-सीमा के साथ भारत की सांप्रदायिक संरचना पर ध्यान देना चाहिए। हाल ही में गिरफ्तार हुए आईएसआई के एजेंटों से पूछताछ में संकेत मिले हैं कि देश के विभिन्न भागों में इनके एजेंट स्लीपिंग सेल के रूप में हैं, जो अपने आकाओं का हुक्म मिलते ही हरकत में आ जाते हैं। ये सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ कर दंगे भड़काने की कोशिश करते हैं। सोचिये, यह ज्यादा जरूरी है, पडौसियों की वाहवाही से |


  • श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com 
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