भोपाल। तीस फीसदी से कम रिजल्ट वाले सरकारी हायर सेकंडरी और हाई स्कूलों में पढ़ाने का जिम्मा मोबाइल टीचर्स को सौंपा गया है। इस टीम में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के एक-एक शिक्षक शामिल हैं। बोर्ड परीक्षाओं में पिछले वर्ष सरकारी स्कूलों के छात्रों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। यही वजह थी कि स्कूलों का परिणाम काबिले-तारीफ नहीं था।
इस वर्ष भी कहीं ऐसा न हो इससे बचने के लिए लोक शिक्षा संचालनालय ने अभी से कवायद शुरू कर दी है। अफसरों ने इसके लिए विशेष कार्ययोजना बना कर उसे अमल में लाने की तैयारी चल रही है। अधिकारियों का ध्यान उन स्कूलों पर है, जहां रिजल्ट 30 फीसदी से कम रहा था। इसके लिए ऐसे हायर सेकंडरी और हाई स्कूल चिन्ह्त कर लिए गए हैं, जहां विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषय का एक भी शिक्षक नहीं है।
विशेषज्ञों की टीम बनाई
अब राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत यहां दूसरे स्कूलों के अच्छे शिक्षकों को तैनात किया गया है। यहां पर रिजल्ट बेहतर बनाने के लिए मोबाइल टीचर्स की व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत विषय विशषज्ञों की टीम बनाई गई है, इसमें गणित, विज्ञान और अंग्रेजी विषय के एक-एक शिक्षक शामिल हैं। हर टीम के पास एक हायर सेकंडरी स्कूल समेत दो हाई स्कूल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सिलेबस पूरा कराएंगे
अधिकारियों के मुताबिक इन स्कूलों का रिजल्ट सुधारने के लिए बनाए गए मोबाइल दस्तों के शिक्षक दसवीं का सिलेबस पूरा करवाएंगे। साथ ही बच्चों को ऐसे गुर सिखाए जाएंगे, जिससे वे परीक्षा में बेहतर नतीजा हासिल कर सकें। दस्ते के स्कूल आने-जाने के लिए सरकारी गाड़ी की व्यवस्था की गई है। ये शिक्षक जिला कार्यालय से तय स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाएंगे।
विषय पर अधिकार जरूरी
प्रदेश में हर जिले के लिए मोबाइल टीचर्स की टीम तैयार की गई है। हर टीम तीन शिक्षक रखे गए हैं। इसमें उन्हीं शिक्षकों का चयन किया गया है, जिनकी अपने विषय (गणित, विज्ञान अथवा अंग्रेजी) पर अच्छी पकड़ है। साथ ही उनके पास पढ़ाने का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए। छात्रों को रोचक ढंग से समझाकर उस विषय का अध्ययन कराने में भी उनके पास महारत होना चाहिए। मजेदार बात यह है कि टीम बनाने के लिए विभाग ने कोई श्रेणी निर्धारित नहीं की है। इसमें शिक्षक और अध्यापक दोनों ही कैटेगरी के शिक्षक शामिल हो सकते हैं, बशर्ते उनका संबंधित विषय पर अधिकार हो।का मकसद सरकारी स्कूलों के रिजल्ट को बेहतर बनाना है।