अध्यापकों को अन्तरिम राहत देकर वसूली करना गलत: अध्यापकों में आक्रोश

मंडला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर से प्रेस वार्ता में घोषणा की थी कि अध्यापक सवंर्ग को सितम्बर 2017 में मिलने वाला छठवें वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 में दिया जायेगा। इस छठवें वेतनमान को जनवरी 2016 से दिये जाने के सम्बंध में केबिनेट में निर्णय होने के बाद सोशल मीडिया में केबिनेट निर्णय की संक्षेपिका वायरल हुई हैं। वायरल हुई संक्षेपिका को देखने के बाद से अध्यापक संवर्ग की उम्मीदों में पानी फिर गया है। 

राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने बताया कि शासन ने अध्यापकों को सितम्बर 2013 में शिक्षक के समान वेतन का लाभ किश्तों में अंतरिम राहत के माध्यम से दिया था। इस अंतरिम राहत को सितम्बर 2017 में समायोजित कर शिक्षक के समान वेतन किया जाना था। 

सितम्बर 2013 के आदेश में यह उल्लेखित भी है कि समायोजन प्रथमतः सवंर्ग वेतन में किया जाकर संवर्ग वेतन निर्धारित किया जायेगा एवं शेष राशि वेतन बैंण्ड के बैंड वेतन में सम्मलित की जायेगी। केबिनेट में पारित संक्षेपिका की माने तो अब तक भुगतान की गई अंतरिम राहत की किस्तें समायोजित करने की बजाय अध्यापकों के वेतन से वसूली जायेगी। यह वसूली 25000रू. से लेकर 70 हजार रू. तक की होगी। स्पष्ट है कि सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2015 तक मिला लाभ शून्य हो गया। निर्धारित समय से पहले छठवें वेतनमान का लाभ देने की बात भी बेमानी ही कहलायी। 

यह भी स्पष्ट हो गया कि सरकार एक हाथ दे रही है तो दूसरे हाथ ले भी रही है। संक्षेपिका में छठवें वेतनमान के निर्धारण का नया फार्मूला दिया गया है जिसमें छठंवे वेतनमान का सही सही लाभ अध्यापकों को मिलता नहीं दिख रहा है। संक्षेपिका से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि वित विभाग के 20 अगस्त 2009 के परिपत्र के अनुसार सहायक अध्यापक का प्रारम्भिक वेतन 7440 और वरिष्ठ अध्यापक का 10230 के अनुसार गणना में लिया जायेगा। क्रमोन्नत और पदोन्नत अध्यापकों का वेतन निर्धारण नियमानुसार नहीं किया गया है। 

1998 से लेकर 2004 तक नियुक्ति हुये अध्यापकों को एक समान वेतन की श्रेणी में लाकर खड़ा किया गया हैं। छठवें वेतनमान का लाभ 1जनवरी 2016 से दिये जाने पर  इसी दिनांक से 7वें वेतनमान का लाभ मिलना धूमिल होता दिखाई दे रहा है। जबकि पहले छठवें वेतनमान का लाभ मिलना 2013 से ही प्रारम्भ हो गया था। राज्य अध्यापक संघ के डी.के.सिंगौर,उमेश यादव, संजीव सोनी, गंगाराम यादव, सुनील दुबे,चंद्रशेखर तिवारी,सुनील नामदेव, प्रकाश सिंगौर,रवीन्द्र चैरसिया,राकेश नामदेव सतीष शुक्ला,अजय मरावी, मोहन यादव,ब्रजेश तिवारी,विजय पाण्डे ने केबिनेट निर्णय में संशोधन कर अध्यापकों के साथ न्याय की मांग की है।

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