यह तो दुनिया को सोचने का समय है

राकेश दुबे@प्रतिदिन। उत्तर कोरिया ने जो परमाणु परीक्षण किया, उसके बारे में यह बताया जा रहा है कि वह कोई आम परमाणु बम नहीं था, वह एक छोटा हाइड्रोजन बम था। हाइड्रोजन बम परमाणु बम से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है। उत्तर कोरिया पहले ही परमाणु बम का परीक्षण कर चुका है। अब उसकी गिनती उन देशों में की जा सकती है, जिन्होंने भयंकर संहारक क्षमता हासिल कर ली है। 

उत्तर कोरिया की सरकार खुद स्वीकार कर रही है कि उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर लिया है। खतरा सिर्फ बम की संहारक क्षमता तक ही सीमित नहीं है। उत्तर कोरिया में एक ऐसी तानाशाह सरकार है, जिसका रवैया अंतरराष्ट्रीय मामलों में कभी जिम्मेदारी भरा नहीं रहा। संयुक्त राष्ट्र ने कई तरह की पाबंदियां लगाकर उत्तर कोरिया को पटरी पर लाने की कोशिशें कीं, लेकिन हर बार वह पहले से ज्यादा उद्दंड नजर आया है। कहा जाता है कि उसने अपने मिसाइल तंत्र को भी काफी विकसित कर लिया है। अब उसकी मिसाइलें दुनिया के किसी भी कोने में परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। 

क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से देखें, तो उत्तर कोरिया की मुख्य दुश्मनी सिर्फ दक्षिण कोरिया से है, जिसके ऐतिहासिक कारण हैं। दक्षिण कोरिया एक लोकतांत्रिक देश है और दुनिया की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका है। उसे दुनिया का अकेला देश माना जाता है, जो एक पीढ़ी में ही विकासशील से विकसित देश में बदल गया। जबकि इसके विपरीत तानाशाही व्यवस्था वाले उत्तर कोरिया की गिनती अब भी दुनिया के सबसे गरीब व पिछड़े देशों में होती है। कोरिया के विभाजन के बाद के पूरे दौर में कई कारणों से अमेरिका दक्षिण कोरिया के साथ रहा है, इसलिए उत्तर कोरिया वाशिंगटन को भी अपना सबसे बड़ा दुश्मन घोषित करता है। उसने ऐसी मिसाइल प्रणाली विकसित की है, जो अमेरिका तक मार कर सके। एक डर यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और अमेरिका विरोधी गठजोड़ की कोशिश में कहीं उत्तर कोरिया से यह तकनीक किसी आतंकी संगठन के हाथ में न पहुंच जाए।

उत्तर कोरिया का ताजा बम परीक्षण यह भी बताता है कि आज की दुनिया में परमाणु तकनीक विकसित करना अब ज्यादा कठिन नहीं रह गया है। अगर उत्तर कोरिया जैसा कम विकसित देश यह तकनीक विकसित कर सकता है, तो मुमकिन है कि अगले कुछ साल में हमें दुनिया के कुछ और देशों में इसकी कोशिशें कामयाब होती दिखाई दें। इसलिए जरूरी है कि अब दुनिया वास्तविक परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में सोचना शुरू कर दे। अभी तक दुनिया में निरस्त्रीकरण की जो नीति है, वह परमाणु हथियारों पर कुछ खास देशों का एकाधिकार बनाए रखने की नीति है। इसे बदलना जरूरी है, ताकि पूरी दुनिया के परमाणु हथियार नष्ट किए जाएं और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का रास्ता तैयार हो सके। 


  • श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com 
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