शराब माफिया की डायरियों में मिले डेढ़ सौ अफसरों के नाम

ग्वालियर। आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग की ओर से शराब कारोबारी लल्ला शिवहरे और लक्ष्मीनारायण शिवहरे के यहां ग्वालियर क्षेत्र में 20 ठिकानों पर की गई छापामार कार्यवाही में से 13 जगहों पर कार्यवाही पूरी हो गई। सात ठिकानों पर कार्यवाही पूरी न होने से विभाग की टीमों ने उन जगहों को सील कर दिया। शराब कारोबारियों ने कोई राशि सरेंडर नहीं की है लेकिन उनके एक साझेदार कासिम खां बाड़ा निवासी वेदप्रकाश गोयल ने पांच करोड़ रूपये सरेंडर की है। इस केस में विभाग द्वारा सरेंडर करने के लिये कोई दबाव नहीं बनाया गया है। क्योंकि मिले कागजातों की जांच पड़ताल से विभाग को बड़ी रकम मिलने की उम्मीद है। 

कागजातों से भरा एक कमरा 
शराब कारोबारी के जिन 13 ठिकानों से कागजातों की जप्ती हुई है उनकी तादाद इतनी हैं कि विभाग का एक पूरा कमरा भर गया है। इन सभी कागजातों की आयकर विभाग गैंग जांच पड़ताल करेगा। शराब लाॅबी की टैक्स चोरी और अन्य सम्पत्तियों की जानकारी भी मिल रही है। 

डायरियों में मिले डेढ़ सौ अफसरों के नाम 
लल्ला षिवहरे और पिंटू भाटिया के ठिकानों पर मारे गये छापे में सामने आई डायरियों की प्रारंभिक जांच में प्रदेष के कई एएस और आईपीएस सहित डेढ़ सौ अधिकारियों को रिष्वत दिये जाने की बात सामने आई है। इनमें से कई अधिकारियों का संबंध ग्वालियर और इंदौर से है। इन्हें षिवहरे एंड कंपनी द्वारा हर महीने एक तय रकम दी जा रही थी। अधिकारी की ग्रेड और पद के हिसाब से यह राषि 10 हजार और कहीं-कहीं उससे अधिक भी है। प्रारंभिक जांच में आबकारी पुलिस टोल नांकों पर पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी और जिला प्रषासन सेवा के डेढ़ सौ से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारियों के नाम सामने आये हैं, जो एक तय राषि षिवहरे एंड कंपनी से ले रहे थे। आबकारी विभाग के निचले स्तर से उच्च अधिकारियों तक के नाम भी इस डायरी में हैं। टोल नांकों पर शराब पास कराने, फैक्ट्री से शराब बनने और बाहर भेजने तक के रास्ते में आने वाली हर चैकिंग वाली जगह पर रूपये दिये जाने की जानकारी भी डायरियों में दर्ज है। यह राषि पांच हजार से लेकर लाखों तक है। शराब ठेकेदार ने खुद की कंपनियों में रूपये ट्रांसफर कर अघोषित आय को एक नम्बर में बदला है। इसके अलावा कोलकाता की ब्रीफकेस कंपनियों जिनके डायरेक्टर, स्टूडेंट्स, कर्मचारी या ऐसे लोग होते हैं, जिनका कोई बजूद नहीं होता। ऐसी कंपनियों को खरीदना और बेचना दिखाने के लिये पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। 
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