
सरकार ने हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की विभिन्न धाराओं के तहत नागरिकता प्रदान करने की बात कही है पर यह कितना लागू होगा कहना मुश्किल है| अक्सर पनाह मांगने वालों को देश ने अपनाया है बावजूद इसके भारत में अवैध अप्रवासी भारी मात्रा में रह रहे हैं| 2012 की गृह मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसे लोगों की संख्या 71 हजार से अधिक है. ज्यादातर इनमें वे हैं, जिनका वीजा खत्म हो गया पर देश से वापस नहीं गये. इसमें भी बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ही लोग अधिक हैं|
साल 2009 और 2011 के बीच भारत ने करीब 2 हजार से अधिक बांग्लादेशियों को देश से निकाला भी था पर यह समस्या इतनी आसानी से खत्म होने वाली नहीं है. माना जा रहा है कि मोदी सरकार के बनने के बाद से भारत में पाकिस्तानी-बांग्लादेशी हिंदुओं को मिलने वाली नागरिकता में लगातार कमी आ रही है| हालांकि सिंध से दिल्ली आये कई हिंदू परिवार दिल्ली में खुले आकाश के नीचे शरण लिए हुए हैं, जो मोदी-मोदी करते रहते हैं, इस उम्मीद में कि उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद मिलेगी. जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और जयपुर जैसे शहरों में तकरीबन 4 सौ पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की बस्तियां हैं. कुछ ऐसी ही बस्तियां पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में देखे जा सकते हैं. भाजपा सरकार भले ही इन लोगों का नागरिकता देने की वकालत करती आई हो, लेकिन व्यवहार में ऐसा बहुत कम हुआ है|