
जानकारी के मुताबिक, दिसंबर महीने में सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मरीज आंख का इलाज कराने आए थे. 30 दिसंबर को मरीजों को आंखों में इंजेक्शन लगाए गए. जिसके बाद अब करीब 32 मरीजों ने दिखाई नहीं देने की शिकायत की है.
हालांकि, श्योपुर की ही तरह इस मामले में भी स्वास्थ्य और अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी ऐसा कोई भी मामला सामने आने की बात से इंकार कर रहे हैं. श्योपुर में 27-28 नवंबर को जिला अस्पताल में लगे मोतियाबिंद सर्जरी शिविर में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मला छत्रशाली और सहायक डॉ. राकेश गुप्ता ने 66 लोगों के ऑपरेशन किए थे. जब उनकी आंखों के टांके काटे गए तो शुरूआत में पांच लोगों ने दिखाई न देने और करीब 10 से 12 लोगों ने कम दिखाई देने की शिकायत की. वहीं अब नए मामले सामने आने पर इनकी संख्या 16 हो गई है. हालांकि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक किसी भी मरीज की आंखों की रोशनी जाने की पुष्टि नहीं की है.
बड़वानी में 55 ने खोई आंखों को रोशनी
बड़वानी के जिला अस्पताल में नवंबर में लगाए गए नेत्र शिविर में कुल 80 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन हुआ था. इस ऑपरेशन में एक बाद एक कई मरीजों ने दिखाई नहीं देने की शिकायत की जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. इनमें से 55 मरीजों की आंखों में संक्रमण होने पर उन्हें इंदौर के अरविंदो और एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकी.
एम्स की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया कि बड़वानी जिला अस्पताल के ओटी में फैले इन्फेक्शन के कारण मरीजों की ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी चली गई. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जिला अस्पताल में 16 से 22 नवंबर को लगे मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर में ओटी को इन्फेक्शन फ्री नहीं किया गया था. सर्जरी में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों पर भी संक्रमण था.