भोपाल। प्रदेश को वित्तीय संकट में फंसा कर मध्यप्रदेश सरकार ने TAX बढ़ाने का एक नया तरीका निकाला है। वह 1976 के प्रवेश कर अधिनियम में ‘और’ शब्द की जगह ‘अथवा’ करने जा रही है। इस बदलाव से व्यापारियों की दूसरे राज्यों से सी-फार्म पर वाहन खरीदकर लाने की सुविधा खत्म हो जाएगी। उन्हें भी कार-एसयूवी जैसे यात्री वाहनों की तरह 10% प्रवेश कर चुकाना पड़ेगा। अभी सी-फार्म पर वाहन लाने पर उन्हें केवल 2% केंद्रीय विक्रय कर (सीएसटी) लगता है।
वाणिज्यिक कर विभाग तो प्रस्ताव बना चुका है लेकिन मुख्य सचिव एंटोनी डिसा की आपत्ति के बाद अब इसे व्यावहारिक अध्ययन के बाद लाया जाएगा। विभाग के अधिकारियों का आकलन है कि सरकार को 70 करोड़ रु. की अतिरिक्त आय होगी।
यह है मौजूदा अधिनियम
राज्य के बाहर से खरीदकर लाए जाने वाले वाहनों पर एक तय दर से प्रवेश कर लिए जाने का प्रावधान है। यह सामान्यत: 10 फीसदी होता है। विशेष परिस्थितियों में 20 फीसदी किया जा सकता है। अधिनियम के तहत बाहर से खरीदे गए वाहन का पंजीयन मोटर व्हीकल एक्ट के तहत यहां होना चाहिए और लाने वाला व्यक्ति पंजीकृत व्यापारी नहीं होना चाहिए। इसी परिस्थति में ये वाहन प्रवेश कर के दायरे में आएंगे। सरकार की मंशा यह है कि चूंकि व्यापारी पहले से ही वैट देता है। इसलिए वह वाहन अपने कारोबार के लिए खरीदकर लाया होगा। वाहन के जरिए जो काम करेगा उस पर सरकार को तो वैट मिलेगा ही।
क्या करना चाहती है सरकार
बाहर से लाने वाले सभी वाहनों को प्रवेश कर के दायरे में लाने के लिए सरकार धारा 3 ए में प्रवेश कर लगने की दो शर्तों में से एक भी पूरी करने वाले पर प्रवेश कर लगाना चाहती है। यानी मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पंजीयन होना या व्यक्ति का पंजीकृत व्यापारी होना दोनों में से एक भी शर्त प्रवेश कर लगाने के लिए काफी है।