मप्र की सरकारी एजेन्सीयों में भी नही कटता PF

इंदौर। कर्मचारियों को भविष्य निधि का लाभ मिले, इसके लिए कंपनियों में पीएफ की व्यवस्था की गई है, लेकिन मध्यप्रदेश में सैकड़ों ऐसे कर्मचारी परेशान हैं, जिन्हें पीएफ का लाभ नहीं मिल रहा है। निजी कंपनियां तो ठीक सरकारी कामकाज से जुड़ी एजेंसियां, जिनमें शासन का ही अधिकारी मुख्य पद पर है, वहां भी कर्मचारियों को पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा है। शोषित होने वाले कर्मचारियों की शिकायत पर कोई ध्यान देने वाला ही नहीं है।

शासन की महत्वपूर्ण योजना लोक सेवा के लिए बनाए गए केंद्रों पर कार्य करने वाले हजारों कर्मचारियों के साथ ही विद्युत वितरण कंपनी और सिटी बस ट्रांसपोर्ट जैसी संस्था में सेवा देने वाली कंपनियों के कर्मचारी भी योजना से वंचित है। कुछ कंपनियां कर्मचारियों के वेतन से पीएफ के नाम पर राशि तो काट रही हैं किंतु उन्हें जमा नहीं करा रही हैं। शासन को उनके ही अंग राजस्व का चूना लगा रहे हैं। केद्र सरकार के अंग भविष्य निधि में हर कर्मचारी की निश्चित राशि जमा करना अनिवार्य होने पर भी सरकारी एंजेसिया अपने बचाव के लिए निजी कंपनियो को ठेका देकर खुद को बचाने में लगी हुई है।

मप्र विद्युत वितरण कंपनी में काल सेंटर से लेकर बिल बाटने, रीडिंग आदि काम निजी कंपनियों को दिए गए हैं। इन कंपनियों में हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं। कंपनी अपने कर्मचारी के वेतन से हर माह एक निर्धारित राशि पीएफ के नाम पर काट कर ही वेतन दे रही है किंतु उन्हे आज तक खाते की जानकारी भी नहीं दी।

कलेक्टर के माध्यम से जिले में संचालित होने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी एआईसीटीएसएल में कार्यरत कर्मचारी भी योजना को लेकर शिकायत करते फिर रहे हैं। उक्त कंपनी के सीईओ के पद पर एक एसडीएम की पदस्थापना की गई हैं जो अन्य कंपनियों के माध्यम से काम करवाकर कर्मचारियों के हित को अनदेखा कर रहे हंै।

कर्मचारियों का कहना है कि एआईसीटीएसएल कंपनी द्वारा आई बस में कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु वर्ष 2014-15 में नोबल सिक्युरिर्टी नामक कंपनी को ठेका दिया गया था। कंपनी ने टिकिट चेकर, टिकिट स्टाफ चेकर, ट्रेवल वार्डन एवं टिकिट बुकिंगकर्ता के पदों पर 200 के लगभग कर्मचारी रखे और उन्हें पावती पर ही वेतन दिया। कर्मचारियों को किसी भी तरह का नियुक्ति पत्र भी नहीं दिया गया जिससे वे न्यायालय की शरण ले सकें। जानकारी होने के बाद भी सीईओं संदीप सोनी ने कर्मचारियों के हित को देखते हुए कंपनी से कुछ कहना भी उचित नहीं समझा। नियुक्ति के समय वेतन 6000 रुपए मासिक तय किया गया, जो उन्हें हर महीने नगद दिया जाता था। सितम्बर 2014 में सभी के वेतन में 600 रुपए की बढ़ोतरी की गई।

अक्टूबर 2014 में कंपनी ने प्रत्येक कर्मचारी के 1400 रुपए भविष्य निधि के रूप में काटते हुए कहा था कि यह राशि उन्हें नौकरी छोड़ते समय दी जाएगी। कंपनी द्वारा 31 मार्च 2015 को सभी कर्मचारियों को एकसाथ सेवा से पृथक कर दिया गया। पीएफ की मांग करने पर उन्हें भविष्य निधि की राशि के लिए कोई जानकारी नहीं दी और ना ही खाते का विवरण दिया। उलटे उन्हें राशि नहीं है कहकर भगा दिया। परेशान कर्मचारियों ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए नोबल सिक्युरिटीज कंपनी तथा उसके सीईओ गिरीश शर्मा के साथ ही एआईसीटीएल तथा उसके सीईओ संदीप सोनी के माध्यम से यह राशि दिलाने की मांग की किंतु उन्हें आज तक योजना का लाभ नहीं मिला है। भविष्य निधि का लाभ हर कर्मचारी को दिया जाना जरूरी है। सरकारी तंत्र से जुडक़र काम करने वाली निजी कंपनियों के मुख्य नियोक्ता वे विभाग ही है। यदि किसी कर्मचारी को पीएफ का लाभ नहीं दिया जाता है तो इसके लिए निजी कंपनी के साथ ही विभाग प्रमुख भी जिम्मेदार होंगे।

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लोक सेवा केंद्र व अन्य कार्यों के के लिए हमने सभी विभागों के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों को योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं। सिटी बस कॉर्पोरेशन ने अपने कर्मचारियों को पीएफ देने की बात का खुलासा किया है, किंतु अन्य कंपनी के संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। जल्द ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी और कर्मचारियों को उनका लाभ दिलाया जाएगा।
अजय मैहरा, आयुक्त भविष्य निधि इंदौर
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