शिक्षामित्रों को सुप्रीमकोर्ट से मिला स्टे, मिठाइयां बंटीं

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में ठेके पर कार्यरत करीब दो लाख शिक्षामित्रों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नियमित करने तथा सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की राज्य सरकार की कवायद को गैरकानूनी करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के अमल पर रोक लगाते हुए कहा कि इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि इस फैसले की वजह से नौकरी गंवाने वाले करीब 40 शिक्षक आत्महत्या कर चुके हैं। शिक्षकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस फैसले से प्रभावित होने वाले अधिकांश शिक्षक 1999 से काम कर रहे थे।

हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगाते हुए इस मामले पर अगले साल फरवरी के आखिरी सप्ताह में अंतिम सुनवाई करने का निश्चय किया है। हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को इन शिक्षकों को नियमित करने ओर उन्हें सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की उत्तर प्रदेश सरकार की कवायद को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। इसके साथ ही राज्य के शिक्षा विभाग के नियमों में उस संशोधन को भी निरस्त कर दिया था, जिसमें शिक्षा मित्रों के नाम से चर्चित करीब 1.72 लाख शिक्षकों को नियमित किया गया था। उत्तर प्रदेश में 2012 में सत्ता में आई समाजवादी पार्टी ने नियमों में संशोधन करके शिक्षक मित्रों को नियमित करने के उपाय शुरू किए थे।

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