लकड़ी तस्करी मामले में कलेक्टर से पटवारी तक सब जाँच की जद में

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बालाघाट जिले में निवासरत अति पिछडी जनजातियां जैसे आदिवासी बैगांओं के हित, संरक्षण और उनको षोशण से बचाने के लिये अनेक कल्याणकारी योजनायें सरकार ने बनाई तो है लेकिन इस अहम उददेष्यों की पूर्ति के लिये जिन आला अफसरों पर इसकी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है वे ही आदिवासियों के साथ लूट खसोट में संलिप्त दिखाई दे रहे हैं। 

इस बात का खुलासा वनोपज के परिवहन हेतु फर्जी टीपी कांड की जांच कर रही पुलिस की विशेष जांच दल को मिले सबूतों से हुआ है। अब तक टीपी की तस्दीक कर रही पुलिस को इस फर्जीवाडे में राजस्व विभाग के आला अफसरों की संलिप्तता के पुख्ता सबूत प्राप्त हुये हैं। पुलिस को इस बात का पता चला है कि 2014.15 के दौरान राजस्व विभाग में आदिवासियों के मालिकाना हक एवं राजस्व भूमि में लगे कीमती ईमारती पेडों की अवैध कटाई के महज 25 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये है जिसमें 5 हजार से भी ज्यादा कीमती ईमारती पेडों की कटाई होना पाया गया है जिसका बाजार मूल्य 100 करोड रूपयों से ज्यादा आंका गया है। 

इस मामले मे राजस्व विभाग के आला अफसरों के द्वारा इस अवैध कटाई की गंभीरता से जांच करने की बजाय साधारण सा जुर्माना कर इन अवैध कटाई की ईमारती लकडियों को फर्जी टीपी कांड के सरगना राकेश डहरवाल के हवाले कर दी, इन ईमारती लकडियों को जप्त करने की बजाय सांठगांठ के चलते वनविभाग को टीपी जारी करने के निर्देश जारी किये तथा वनविभाग के अधिकारियों ने नियमानुसार आवष्यक सत्यापन किये बिना हेमर लगाकर फर्जी टीपी जारी कर दिया और इसके आधार पर वन माफियांओं ने प्रदेष और प्रदेष के बाहर परिवहन करवा दिया इससे राजस्व और वनविभाग को करोडों की आर्थिक नुकसानी हुई और अफसर और ठेकेदार मालामाल हो गये। इन विसंगतियों के चलते अनुसूचित जनजातियों के लिये बनाये गये कानुनों को बलायताक में रखकर षासन के साथ धोखाधडी की और अमानत में खयानत जैसा अपराध किया है।

पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने इन तथ्यों से अवगत कराते हुये बताया की वनोपज के परिवहन के मामले में अब तक 301 फर्जी टीपी की बारीकी से छानबीन की जा चुकी है जिसमें राकेष डहरवाल के अलावा 12 अन्य ठेकेदार सम्मिलित पाये गये हैं जिनमें 4 टीपी की छानबीन किये जाने पर राजस्व विभाग के उन आला अफसरों की संलिप्तता पाई गई है जिन्हे षासन द्वारा आदिवासियों के हित संरक्षण के विषेश तौर पर प्राधिकत करते हुये नामांकित किया है। श्री तिवारी ने यह भी बताया की इस मामले में संलिप्त वन और राजस्व विभाग के उन अधिकारियों और ठेकेदारों के नामों का खुलासा षीघ्र ही किया जायेगा जिनके विरू द्ध धारा 420, 34, 467, 468, 471, 379, 120बी भादवि 3.1.10 एससी, एसटी एक्ट के अलावा धारा 406 भादवि अमानत मे खयानत एवं वन अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी।

विष्वसनीय सुत्रों के अनुसार इस मामले की जद में वन विभाग के एसडीओ, डीएफओ के अलावा कलेक्टर, एडीएम, एसडीओ राजस्व, आर आई, पटवारी आ रहे हैं जिन पर पुलिस का षिकंजा षीघ्र ही कसने वाला है यह भी उल्लेखनीय है कि पुलिस को इस मामले का जैसे ही सुराग लगा वैसे ही आनन फानन में बालाघाट के कलेक्टर व्ही. किरण गोपाल ने बैहर क्षेत्र में की गई अवैध कटाई कर ठेकेदारों द्वारा षासकीय काश्ठागार मंडला भेजी गई 2 करोड मूल्य की ईमारती लकडियों को जप्त करने का फरमान जारी किया है।

पुलिस अधीक्षक ने चर्चा के दौरान इस बात पर हैरानी जाहिर की है कि आदिवासी बाहूल्य बालाघाट जिले में आदिवासियों के हितों का संरक्षण करने वाले अफसर ही लुट खसोंट करने वाले गिरोह को संरक्षण देते हुये उनके साथ षामिल दिखाई दे रहे हैं। 

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