
लिथियम-आयन-चालित बसें उसी बैटरी से चलेंगी जिसका उपयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उपग्रहों में करता है। गडकरी ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने मंत्रालय और अन्य इकाइयों के साथ सहयोग कर इस बैटरी का विकास किया है। इसकी लागत पांच लाख रुपये हैं। वहीं, इस प्रकार के आयातित बैटरी की कीमत 55 लाख रुपये हैं।
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप है। ऐसे वाहनों को वाणिज्यिक रूप दिया जाएगा और पेंटेट पंजीकृत कराए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा, पायलट परियोजनाओं के तहत शुरुआत में दिल्ली में ऐसी 15 बसें चलाने की योजना है। ऐसी बसों को अन्य शहरों की सड़कों पर भी उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदूषण एक मुद्दा है, जिससे सरकार काफी चिंतित है। मंत्रालय दिल्ली से संबंधित ऐसे सभी मुद्दों के दो साल के भीतर समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है।
गडकरी ने जोर देकर कहा कि इसके पीछे मकसद पूरे देश में प्रदूषण को कम करना है न कि केवल दिल्ली में। उन्होंने कहा कि हमारी डीजल पर चलने वाली 1.5 लाख बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना है। नागपुर में बायो-सीएनजी बनाने वालों को प्रोत्साहित किया जाएगा।