
देवास के इंडस्ट्रियल एरिया में 1976 में स्थापित हुई देवास फेब्रिक्स प्रदेश में अपनी तरह की एकमात्र कम्पोजिट मिल थी। इसमें विविंग, प्रोसेसिंग, डाइंग से लेकर रेडिमेड गारमेंट तक का निर्माण होता था। पूरी तरह एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट के तौर पर काम रही इस मिल का कार्पोरेट ऑफिस इंदौर में है। मिल को 2000 में कस्टम और सेंट्रल एक्साइज विभाग ने ड्यूटी चोरी के नोटिस जारी किए।
प्रारंभिक रूप से 86 लाख रुपए का नोटिस दिया गया। 2004 में मिल का इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट लाइसेंस रद्द कर दिया गया। नतीजा मिल बंद हो गई। इसके बाद भी मिल को 2009 तक कुल 400 करोड़ के नोटिस विभाग ने जारी कर दिए थे। मिल के तत्कालीन निदेशक सुरेश शर्मा पर पर्नल पेनल्टी लगाते हुए आपराधिक प्रकरण भी लगा दिए गए थे।
करों का दोहराव
देवास फेब्रिक के पूर्व निदेशक सुरेश शर्मा के अनुसार सीबीआई के प्रकरणों से कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था। उसके बाद हमने गलत तरीके से कंपनी को जारी नोटिस के खिलाफ सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवाकर अपीलीय अधिकरण (ट्रिब्यूनल) में अपील की थी।
ट्रिब्यूनल ने निर्णय देते हुए नोटिसों को नियम विरुद्ध करार दिया है। देश में ही बने और खरीदे माल के लिए भी हम पर कस्टम ड्यूटी लगा दी गई थी। फैसले में टैक्स के दोहराव के लिए विभाग को फटकार भी लगाई गई है।
ढाई हजार कर्मचारी होंगे
पूर्व निदेशक शर्मा के अनुसार गलत टैक्स के रोपण के कारण मिल बंद हुई थी। अगले तीन महीनों में मिल को हम दोबारा शुरू कर रहे हैं। हमारे ऊपर कोई पुराना कर्ज नहीं है, इसलिए मिल शुरू करने में दिक्कत नहीं है। तकनीक बदलने के कारण पुरानी मशीनों को हटाकर नया प्लांट स्थापित किया जा रहा है। शुरुआत में ढाई हजार कर्मचारी होंगे, जो कि किसी भी कपड़ा मिल के संचालन के लिए जरूरी संख्या है। यह प्रदेश में पहला मौका है जब बंद हुई कोई कपड़ा मिल शुरू होगी।