
एक निजी कंपनी में जीएम सुधांशु त्रिपाठी ने थाने में शिकायत की है कि अजीत ने कोलार में ही एक साइट दिखाकर उन्हें यह बताया कि प्रोजेक्ट का आधा काम हो गया है। काम पूरा करने के लिए उसे रुपए की जरूरत है। इस आधार पर उसने सुधांशु सहित कई लोगों से दो से ढाई लाख रुपए तक बुकिंग अमाउंट के नाम पर लिए। कुछ दिन बाद अजीत के दोनों मोबाइल नंबर बंद आने लगे।
डॉक्टर से भी दस लाख ठगे
अजीत सिंह अयोध्या बायपास पर अभिनव काकड़ा कॉलोनी में रहता था। वह पत्नी के इलाज के लिए कई बार मिनाल में डॉ. पीडी महंत के घर भी आता रहा। डॉ. महंत कहते हैं कि एक मित्र ने बताया था कि वह बिल्डर है और प्राॅपर्टी का काम करता है। अजीत ने प्रोजेक्ट में अड़चन की बात कहकर 10 लाख रुपए मांगे और कहा कि यदि उसने समय पर नहीं लौटाए तो वह अपनी एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम करा देगा। अजीत के साथ उनका एग्रीमेंट भी हुआ। उसने ब्लैंक चेक भी दिया। तीन महीने पूरे होने पर चैक बाउंस हो गया। अब अजीत परिवार सहित भोपाल से गायब है। डॉ. महंत ने शाहपुरा थाने में इसकी शिकायत की है।
सर्च रिपोर्ट जरूर लें
प्लॉट व फ्लैट का सौदा करने से पहले यह जांच लें कि प्रोजेक्ट कहां है? बिल्डर कौन है? रजिस्ट्री ऑफिस से सर्च रिपोर्ट ले लें। इससे साफ हो जाएगा कि जिस व्यक्ति से आप प्रॉपर्टी ले रहे हैं, वही उसका मालिक है या नहीं।