कर्मचारी की ग्रेच्यूटी कोई नहीं रोक सकता: हाईकोर्ट

बिलासपुर. हाईकोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया है कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला भुगतान कर्मचारी की संपत्ति है। उसका भुगतान रोका नहीं जाना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 300 क में भी इसे संपत्ति ही माना गया है। कोर्ट ने रिटायर्ड कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के बाद उसकी पेंशन और ग्रेच्यूटी की रोकी गई रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है।

रायपुर निवासी रामलाल शर्मा धमतरी के कलेक्टोरेट कार्यालय की भू अभिलेख शाखा में असिस्टेंट ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत थे। उनके खिलाफ सर्विस में रहने के दौरान वर्ष 2009 में एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था और उस मामले में ट्रायल भी चला। इस मामले में उनको निलंबित किया गया था। रामलाल के रिटायरमेंट के बाद विभाग ने इसी आधार पर उनकी पेंशन, ग्रेच्यूटी, अवकाश नगदीकरण आदि का भुगतान नहीं किया।

इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकारी नियम के अनुसार जिस कर्मचारी के खिलाफ रिटायरमेंट के पहले किसी विभागीय मामले में कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही हो तो उनको प्रोविजनल पेंशन के साथ ही 50 प्रतिशत ग्रेच्यूटी व अन्य देयकों का भुगतान किया जाएगा। लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं किया।

जबकि विभाग रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी के भुगतान को नहीं रोक सकता। संविधान में भी यह प्रावधान है। शासन की ओर से इसका विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि कर्मचारी के खिलाफ जो मामला था। उसके अनुसार उनको ग्रेच्यूटी और अवकाश के नगदीकरण की रकम नहीं दी जा सकती। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि कर्मचारी को नियमानुसार पेंशन और ग्रेच्यूटी सहित अवकाश नगदीकरण की रकम भी दी जानी चाहिए।

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