
मानो पूरा महेश्वर किला अतीत को जी उठा। मंगलवार अपरान्ह राजगादी से युवराज यशवंतराव होलकर (तृतीय) की वर निकासी की गई। अहिल्याबाई की राजगादी पर महाराज शिवाजीराव होलकर व दूल्हा यशवंतराव होलकर ने कर्णीसात (परंपरागत झुककर नमस्कार) किया। इसके बाद बाना बाजार चौक की ओर रवाना हुआ। बाने के आगे धार से आए कलाकार मांदल की थाप पर आदिवासी नृत्य करते चल रहे थे।
दूल्हा बने युवराज की मंद-मंद मुस्कान उनके चेहरे पर लावण्य झलकाने लगी। युवराज के पीछे वाली डाज कार में ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके पुत्र अपनी परंपरागत पगड़ी व वेशभूषा के साथ सवार थे। उनके साथ उनकी पत्नी व शिवाजीराव की पत्नी ईजाबेल बैठी थीं। अंत में कार में सवार उदयपुर के महाराज अरविंदसिंह थे।
जमकर थिरके शाही मेहमान
किला परिसर और मार्ग पर दोनों ओर खड़े लोग दूल्हे युवराज को करीब से देखने को आतुर थे। हर कोई अपने-अपने मोबाइल व कैमरे में उनकी तस्वीर को कैद करता रहा, तो कोई खूबसूरत नजारा आंखों में बसा लेना चाहता था। बारातियों को लाल रंग के लहरिए वाले साफे बांधे गए थे। नर्मदा तट पर अहिल्याघाट के प्रांगण में जहां बराती जमकर नाचे। अहिल्येश्वर मंदिर के द्वार पर फिल्म अभिनेता विजेन्द्र घाटगे ने भांगड़ा किया।
वहीं दूल्हे की बहन सबरीना ने मालवे की धुन मटकी पर नृत्य कर दूल्हे की बलाइयां ली। इसके बाद द्वार पर दुल्हन सबरीना की मां स्मिता कृष्ण ने दूल्हे को परंपरागत रूप से पड़छा। वहीं बारातियों का पुष्पमालाओं से स्वागत दुल्हन के पिता विजयकृष्ण गोदरेज ने किया। विवाह कार्यक्रम में प्रसिद्ध उद्योगपति आदि गोदरेज सहित अनेक उद्योग जगत के लोग उपस्थित थे।
बाजार चौक में किया स्वागत
बाजार चौक में नगरवासियों की ओर से बारात का स्वागत किया गया। नपं अध्यक्ष दामोदरदास महाजन, राजेन्द्र सराफ, राजेन्द्र जैन, भूपेन्द्र जैन, बेला जैन आदि ने बारात का स्वागत किया। इसी प्रकार दिलीप शर्मा ने गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा कर बारात का स्वागत किया। बारात को देखने के लिए नर्मदा मार्ग स्थित मकानों की छत व ओटलों पर देखने वालों की भीड़ लग गई।