
पिछले कुछ समय में लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों में कुछ इस तरह के खुलासे हुए हैं। यह सिर्फ जिले की स्थिति नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में पुलिस का यही हाल है। स्टाफ की कमी, काम का बोझ आए दिन पुलिसकर्मियों को तनाव में घिरने पर मजबूर कर रहा है। जिले में सभी थानों और पुलिस लाइन में मिलाकर वर्तमान में 2400 पुलिसकर्मी हैं। जिनमें लगभग 400 पुलिसकर्मी तनाव में है।
प्रदेश का भी यही हाल
यह हालत जिले का नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में यही हाल है। जनवरी 2014 से 30 सितंबर 2015 के बीच पूरे प्रदेश में 446 पुलिस कर्मियों की मौत विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर हुई है। इनमें से 14 मौत जिले के पुलिस कर्मियों की भी है। प्रदेश के आंकड़े इस प्रकार हैं।
- मौत कारण
- 93 हार्टअटैक
- 47 कैंसर
- 27 पीलिया/ लीबर खराबी
- 9 किडनी खराबी
- 9 पैरालिसिस
- 10 ब्रेन हेमरेज
- 06 टीबी
- 05 डायबीटिज/ बीपी
- 82 सड़क दुघर्टना
- 05 रेल दुघर्टना
- 27 आत्महत्या
- 126 अन्य बिमारियां
जटिल दिनचर्या से हो रहे बीमार
जिले में पुलिसकर्मी गंभीर बीमारियों की चपेट में क्यों आ रहे हैं जब इसकी पड़ताल की गई और कुछ थानों में बैठे पुलिस कर्मियों से नईदुनिया ने बातचीत की तो जटिल दिनचर्या और काम का बोझ और अत्यधिक दबाव कई ऐसे कारण सामने आए। जिनके कारण पुलिसकर्मी बीमार हो रहे हैं।
- एक पुलिसकर्मी 12 घंटे की ड्यूटी कर रहा है। जिसमें उसके खाने का कोई समय निर्धारण नहीं है।
- 7 दिन तक इसी तरह सुबह या रात की शिफ्ट में पुलिसकर्मी काम करेगा।
- 7 दिन बाद उसकी शिफ्ट बदलेगी तो उसे लगातार 24 घंटे काम करना होगा। इसका मतलब वह 24 घंटे न तो सोएगा न ही कुछ और करेगा। इसके बाद उसकी शिफ्ट बदलेगी।
- 24 घंटे लगातार काम करने के बाद शिफ्ट बदलते ही उसे 12 घंटे बाद फिर काम पर लौटना होगा।