
बताया जा रहा है कि बेहट गांव में रामदिया अपने पूरे परिवार के साथ रह रहे थे. हिंदू समाज के लोगों ने उनपर आरोप लगाया है कि उन्होंने पंचायत चुनाव में प्रधानी के प्रत्याशी सईद अहमद को वोट दे दिया था. इस बात से हिंदू समाज के लोग उनसे नाराज हो गए.
गुरुवार रात बीमारी के चलते रामदिया की मौत हो गई. मुस्लिम प्रत्याशी को समर्थन देने के चलते गांव के हिंदूओं ने रामदिया को कांधा देने से मना कर दिया.
यह देखकर मुस्लिम समाज के लोग रामदिया के परिवार की मदद के लिए आगे आए. मुस्लिमों ने खुद से अर्थी तैयार की. इसके बाद उन्हें पूरे रीति-रिवाज से अंतिम यात्रा निकालकर संस्कार किया.
प्रधान पद के प्रत्याशी रहे सईद अहमद ने बताया कि रामदिया की मौत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए थी. वोट के लिए उन्होंने मानवता को शर्मसार किया है.
दीपक कुमार का कहना है कि वोट न देने के कारण बहिष्कार का आरोप गलत है. सहारनपुर होने के कारण वह अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सके. निर्वतमान प्रधान ने बताया कि हिन्दू समुदाय के लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मृतक के घर गए थे, लेकिन उनके लड़के ने सभी को घर से चले जाने की बात कहीं.