
मै प्रदेश के शिक्षको के सभी संगठनो के प्रान्ताध्यक्षो और समस्त शिक्षको का ध्यान इस और आकर्षित करवाना चाहता हु की प्रदेश की सरकारी शिक्षा को निजी हाथो में सौपने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही हे ! सरकार पब्लिक पार्टनरशिप के माध्यम से शिक्षा का निजीकरण करने जा रही हे ! यदि शिक्षा का निजीकरण हो गया तो एक जितने भी सवर्ग के शिक्षक हे उन सभी की डोर निजी हाथो में होगी ! निजीकरण का अर्थ यह भी की होता हे जहा बोलने का या मांगने का अधिकार नही होता हे ! जो मालिक कर दे वही रहमत समझी जायेगी ! मेरा शिक्षक सवर्ग के सभी संगठन प्रमुखो से निवेदन हे की यदि शिक्षा का, शिक्षक का, और अपने अपने संघो का वजूद को जिन्दा रखना हे तो सबसे पहले सभी का एक ध्येय शिक्षा को निजीकरण से बचाना होना चाहिए अन्यथा यदि सभी टुकड़ो में ही बटे रहे और अपने अपने राग अलापते रहे तो शिक्षा को निजीकरण से कोई भी बचा नही सकेगा ! यदि शिक्षा का निजीकरण हो गया तो न शिक्षक का और न शिक्षक सवर्ग के संगठनो का कोई अस्त्तित्व रहेगा !
आज शिक्षको के दर्जनो विभिन्न नामो के संगठन शिक्षा और शिक्षको के नाम पर स्वार्थ की रोटिया सेक रहे हे ! किन्तु कभी किसी ने शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ आवाज़ नही उठाई हे ! राज्य अध्यापक संघ ने द्वारा सरकार की आगामी नीतियों को भापकर पुरे प्रदेश में शिक्षा बचाओ यात्रा सालो पहले निकाली गई थी तब किसी भी संघ द्वारा इस यात्रा का समर्थन नही किया गया था ! जिसकी परिणीति आज शिक्षा के निजीकरण का जिन्न फिर आकार लेने लगा हे ! शिक्षा के निजीकरण के भुत से निपटना हे तो सभी सवर्ग के शिक्षको को एकजुट होना होगा अन्यथा निजीकरण का यह बहुत शिक्षा और शिक्षक के भविष्य का सर्वनाश कर देगा !
मै शिक्षक सवर्ग के सभी प्रान्त प्रमुखों से यह निवेदन करता हु की 24 दिसंबर को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में सभी संगठनो द्वारा एक मत होकर सरकार द्वारा शिक्षा के निजीकरण करने के हर निर्णय का विरोध दर्ज करवाकर स्वम मुख्यमंत्रीजी से यह वादा ले की प्रदेश की शिक्षा का निजीकरण नही होगा ! यदि सभी संघ इस मुद्दे पर एकमत होकर शिक्षा के निजीकरण का पुरजोर विरोध करेंगे तभी शिक्षा और शिक्षक का अस्त्तित्व बचेगा ? आज शिक्षको को अपनी मांगो व् सेवा शर्तो से ज्यादा जरुरी हे शिक्षा को निजी हाथो से बचाना हो गया हे ! यदि शिक्षा का निजीकरण हो गया तो फिर मांगने का तो दूर बोलने का भी अधिकार शिक्षको को नही होगा ?
मै अपने समस्त सवर्ग के शिक्षक साथियो से निवेदन करना चाहता हु की आज हम सभी साथियो के सम्मुख अपनी मांगो व् समस्याओ के साथ शिक्षा को निजी हाथो से बचाने का जिम्मा भी आ गया हे ! अगर शिक्षा बचेगी तो हमारा अस्तित्व कायम रहेगा ! और यदि शिक्षा का भी निजीकरण हो गया तो आने वाले सालो में शिक्षा का भी हाल मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसो और कर्मचारियों जेसे हमारे और हमारे स्कूलों के हो जाने वाले हे ! अब यह हमें तय करना हे की अपनी शिक्षा का और अपना भविष्य केसा तय करना हे ! मेरा सभी साथियो से निवेदन हे की सारे गीले शिकवे दूर कर हम सभी को एकजुट होकर शिक्षा को निजीकरण से बचाने का प्रयास करना चाहिये ! आज अध्यापक सवर्ग के शिक्षको के लिए रुपयो से ज्यादा अपने जीवन और परिवार की सुरक्षा जयादा महत्त्वपूर्ण हे ! सरकार द्वारा यदि निजीकरण के माध्यम से शिक्षा रूपी वटवृक्ष की जड़े ही काट दी जाएगी तो छाया और फल की अपेक्षा कैसे की जा सकती हे ! यदि हम सभी को अपने व् अपने परिवार के जीवन को बचाना हे तो शिक्षारूपी वटवृक्ष को निजी हाथो से कटने से हर हाल में बचाना होगा तभी हम सभी का जीवन सुरक्षित रह पायेगा !
मै राज्य अध्यापक संघ की और से एक प्रांताध्यक्ष होने के नाते समस्त शिक्षक साथियो को यह विश्वास दिलाता हु की सरकार द्वारा यदि शिक्षा का निजीकरण किया जाता हे या किसी एक भी सरकारी स्कुल को निजी हाथो में सौपा जाता हे तो शिक्षा के निजीकरण का विरोध राज्य अध्यापक संघ की और से हर मोर्चे पर किया जायेगा और सरकार से शिक्षा को बचाने की हर स्तर से लड़ाई लड़ी जायेगी ! साथ ही यह भी विश्वास दिलाता हु की 24 को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में भी शिक्षा के निजीकरण की शासन स्तर से हो रही सुगबुहाट पर मुख्यमंत्रीजी चर्चा की जायेगी !
आपका
जगदीश यादव
प्रांताध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ म.प्र.
मोबाईल नंबर 9425448919, 9926439527
द्वारा --
एच एन नरवारिया (सोशल मीडिया प्रभारी RAS मप्र )