प्राइवेट कर्मचारियों को भी 7वें वेतन आयोग जैसा लाभ दें

नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग में सरकारी कर्मचारियों की वेतन में तो इज़ाफ़ा कर दिया गया लेकिन प्राइवेट सेक्टर अभी सरकार से उम्मीदें लगाये बैठा है। संसद के शीतकालीन सत्र में वामपंथी पार्टियों ने प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को भी सातवीं वेतन आयोग की तरह लाभ देने की बात कही थी। सातवें वेतन अयोग में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में की गई वृद्धि से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों में निराशा का माहौल है।   

अब एक सर्वे के अनुसार इस हालत में कंपनियों को कर्मचारियों के उत्साह और परफॉरमेंस लेवल में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन पोर्टल के सर्वे के अनुसार, 70 प्रतिशत कर्मी इस बात से दुखी हैं कि वह प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं। उन्हें लगता है कि वह भी केंद्र सरकार के कर्मचारी होते तो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उनकी भी सैलरी में 23.55 प्रतिशत का भारी इजाफा होता।

प्राइवेट सेक्टर के कर्मियों में असंतोष की सीधी वजह सभी केंद्रीय कर्मियों के वेतन में होने जा रही बढ़ोतरी है। सर्वे में शामिल लोगों में 68 प्रतिशत को लगता है कि केंद्रीय कर्मियों के वेतन में 23.55 प्रतिशत की वृद्धि गलत है। वहीं, 47 प्रतिशत लोगों को लगता है कि वेतन वृद्धि का परफॉर्मेंस से कोई संबंध नहीं है जबकि 30 प्रतिशत लोग मानते हैं कि इस वृद्धि से सरकारी और प्राइवेट कर्मियों की आमदनी में असमानता और बढ़ेगी।

सर्वे में एक और दिलचस्प बात सामने आई है कि अनुभवी प्राइवेट कर्मियों में पे स्केल्स को लेकर गहरा असंतोष है लेकिन इसे लेकर सबसे ज्यादा दुखी नए-नए भर्ती हुए कर्मचारी हैं। करीब 80 प्रतिशत जूनियर, एंट्री लेवल के कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें प्राइवेट सेक्टर की नौकरी पकडऩे का दुख है। वहीं, करीब 75 प्रतिशत मिडल और सीनियर लेवल के एंप्लॉयीज भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे हैं।

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