भोपाल। रतलाम में इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनावी चेहरा दिखाई दे रहा है। संवेदनशीलता कदम कदम पर टपक रही है। एक मासूम ने मामा मामा कहकर पुकारा तो सीएम ने काफिला रुकवा दिया। बच्चे के पास गए। उसका माथा चूमा, गले लगा दिया। बच्चे ने बताया कि अधिकारी उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बना रहे हैं, सो तत्काल आदेश दिए। इतना ही नहीं फालोअप के लिए भी नोट कराया।
कितना संतोष होता है यह देखकर/सुनकर। यदि मुख्यमंत्री पूरे 5 साल इतना संवेदनशील रहे तो निश्चित रूप से कोई भी प्रदेश स्वर्ग बन जाए। यहां मजेदार बात यह रही कि बिन मां बाप के बच्चे को तंग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। व्यवस्था जैसी थी वैसी ही है। सवाल यह है कि क्या हर परेशान बच्चा मामा मामा कहकर पीछे छोड़ लगाए, तभी उसकी परेशानियां दूर हो पाएंगी।
कुछ दिनों पहले इनकी एक महिला मंत्री ने एक बच्चे को लात मारी थी। बाद में उसे शराबी भी कहा। वो बच्चा आज भी लावारिस है। ना तो उसकी मदद की गई। ना शराब छुड़वाने की कोशिश और मंत्री के आगे तो सीएम साहब खुद बेबस नजर आए।
