भोपाल। दुनिया जानती है कि शिवराज की मटियामेट करने के लिए मोदी ने मप्र का करोड़ों रुपया रोक रखा है। हालात यह हैं कि मप्र लगातार कर्जें में डूबता चला जा रहा है। लगभग हर महीने कर्जा उठाना पड़ रहा है परंतु शिवराज क्या करें, धरना प्रदर्शन तो कर नहीं सकते, बिना पैसे के सरकार भी नहीं चला सकते, इसलिए उन्होंने अब गांधीगिरी का रास्ता अपनाया है।
मप्र सरकार ने केंद्र के पास अटके इन पैसों की जानकारी संसद के शीतकालीन सत्र से पहले प्रदेश के सभी सांसदों को भेजी एक बुकलेट के जरिए दी है। जिसमें विभागवार जानकारी दी गई है। साथ ही यह भी बताया गया है कि यह पैसा निकलवाने के लिए संसद में किस तरह के सवाल पूछे जाएं। इससे एक पंत 2 काज हो जाएंगे। एक तरफ मप्र का रुका पैसा मिल जाएगा, दूसरी तरफ दुनिया को पता भी चल जाएगा कि मोदी ने शिवराज का पैसा रोक रखा है। और सबसे बड़ी बात यह कि शिवराज को खुद सामने नहीं आना पड़ेगा।
राज्य सरकार की ओर से पहले भी अपने सांसदों को संसद सत्र के शुरु होने के दौरान राज्यहित से जुड़े मुद्दे दिए जाते थे, लेकिन उनमें अब तक सिर्फ अटकी योजनाओं की ही जिक्र रहता था। इस बार मप्र सरकार ने अपने सांसदों को नए टास्क पर लगाया है। जिसके तहत उन्हें अटके पैसों को निकलवाने का जिम्मेदारी दी गई है।
अधिकारी कर रहे हैं सांसदों को मोटिवेट
मजेदार बात यह है कि केंद्र में अटके पैसे को निकालवाने के लिए राज्य सरकार के विभागीय अधिकारी प्रदेश के सासंदों से व्यक्तिगत स्तर पर भी लांबिग कर रहे हैं, ताकि बवाल ना मचे, राजनीति का आरोप भी ना लगे, संघ नाराज भी ना हो और सदन में मोदी की पोल भी खुल जाए। एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की और बताया कि उन्होंने लोक निर्माण से जुड़े कुछ अटके प्रोजेक्टों की जानकारी उन्हें दी है।