मप्र: हिंगोट युद्ध के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका

इंदौर। देपालपुर विधानसभा के गौतमपुरा में दीपावली के दूसरे दिन हिंगोट युद्ध खेला जाता है। जिसे खेलने और देखने वालों की संख्या भी बड़ी तादात में होती है। इस खेल में कई लोग घायल होते है। जिसके चलते हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। 

जिसमें हिंगोट प्रथा को ही बंद करवाए जाने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि, इस प्रथा के चलते कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके है बावजूद इसके खेल पर रोक नहीं लग रही है। याचिकर्ता का कहना है हाईकोर्ट में ये भी अपील की गई है कि, यदि प्रथा पर रोक नहीं लगाई जा सकती तो हिंगोट में घायल होने वालो को क्षतिपूर्ति राशि दिलवायी जानी चाहिए। साथ ही हिंगोट खेलने वालो की संख्या का आंकलन भी करवाया जाना चाहिए। जिससे प्रथा को निभाने में घायल हो रहे लोगो की संख्या पता चल सके और उन्हें मदद मिल सके यही नहीं हिंगोट खेल के लिए सुरक्षित माहौल की व्यवस्था भी सुनिश्चित करवाने की अपील याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से की है। 

क्या है हिंगोट युद्ध जानिए अभी
हिंगोट दीपावली के बाद खेला जाने वाला पारंपरिक 'युद्ध' है। इस युद्ध में प्रयोग होने वाला 'हथियार' हिंगोट है जो हिंगोट फल के खोल में बारूद, कंकड़-पत्त्थर भरकर बनाया जाता है। इस युद्ध में किसी दल की हार-जीत नहीं होती। हिंगोट एक फल (नारियल जैसा) होता है, जिसकी पैदावार देपालपुर इलाके में होती है। जिसे लोग दीपावली से लगभग दो माह पहले खोखला कर सुखा लेते हैं, फिर उसके भीतर बारूद भरी जाती है। फिर इसमें एक ओर लकड़ी लगाई जाती है, युद्ध के दौरान जब इसमें आग लगाई जाती है तो यह रॉकेट की तरह आकाश में उड़ान भरता हुआ, दूसरे पक्ष को नुकसान पहुंचाता है। यह सदियों पुरानी परंपरा है। कब शुरू हुई, किसने शुरू की, क्यों शुरू की गई इसका इतिहास में कोई उल्लेख नहीं मिलता। 

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