नईदिल्ली। महज 13 साल में दुष्कर्म की शिकार हुई नाबालिग मां एवं उसकी नवजात संतान के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने नाबालिग मां को फ्री पढ़ाई लिखाई, सरकारी नौकरी एवं 10 लाख रुपए देने के आदेश सरकार को दिए, वहीं व्यवस्था दी कि उसकी संतान को जैविक पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार होगा। वह नाजायज संतान होगी परंतु संपत्ति में अधिकार होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नवजात व नाबालिग पीड़िता के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पूरी कार्ययोजना के साथ आदेश दिए हैं। जस्टिस शबीहुल हसन और जस्टिस डीके उपाध्याय की बेंच ने सरकार को आदेश दिया कि नाबालिग लड़की के पढ़ने व बाद में नौकरी की व्यवस्था के साथ 10 लाख रुपए की मदद करें। यह पैसे फिक्स डिपॉजिट के रूप में उसके 21 साल की होने तक रखा जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि नवजात बच्ची को मेडिकल जांच के बाद बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाए। समिति गोद लेने के इच्छुक परिवार के आवेदन पर विचार कर फैसला लेगी।
नाबालिग के साथ 17 फरवरी को बाराबंकी के एक गांव में नाबालिग लड़के ने दुष्कर्म किया था। यह लड़का फिलहाल बाल सुधारगृह में बंद है। दुष्कर्म पीड़िता ने 26 अक्टूबर को लखनऊ के क्वीन मैरी हॉस्पिटल में अनचाही बच्ची को जन्म दिया। यह बच्ची दुनिया में न आए इसके लिए पीड़िता के पिता ने 13 अगस्त को बाराबंकी कोर्ट में याचिका दायर कर बेटी के गर्भपात की मंजूरी मांगी थी लेकिन कोर्ट ने गर्भपात से इंकार कर दिया था।
- कोर्ट आदेश के अहम बिंदु
- पीड़ित की पढ़ाई के लिए कस्तूरबा गांधी विद्यालय में सीधे प्रवेश।
- पढ़ाई के दौरान हर सुविधा मुफ्त।
- खाने और रहने की व्यवस्था भी।
- जूनियर हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद इंटर और उच्च शिक्षा भी मुफ्त मिले।
- पढ़ाई पूरी होने पर योग्यता के मुताबिक नौकरी।
- भविष्य सुरक्षित रखने के लिए 10 लाख की एफडी।
- सरकार के अलावा कोई स्वयंसेवी संस्था भी चाहे तो मदद कर सकती है।
- बाराबंकी के डीएम व एसपी को यह सुनिश्चित करने के निर्देश हैं कि पीड़िता के परिवार का किसी तरह का उत्पीड़न न हो।
