भोपाल। ये राज्य शिक्षा केंद्र की लापरवाही है या कोई घोटाला। स्मार्ट क्लास के नाम पर कवायद शुरू की गई, ड्रामा चला, मीटिंग्स हुईं, स्कूलों को 12-12 हजार रुपए की राशि भी दी गई परंतु स्मार्ट क्लास शुरू नहीं हुईं। क्या जंजाल है, क्या गोलमाल है, अब यह जांच का विषय है।
राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल ने सभी जिलों के प्रत्येक विकासखंड पर छह-छह शालाओं का चयन किया गया था। इन क्लासों की व्यवस्था भोपाल स्थित राज्य शिक्षा केंद्र का ई- गवर्नेंस शाखा ने की थी। इनमें विद्यार्थियों को अध्ययन कराने के लिए शिक्षकों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण भी दिया गया था।
ऑनलाइन पढ़ाई होनी थी
इसमें संबंधित विषय के शिक्षक नहीं होने पर ऑनलाइन से पढ़ाई करवाने की योजना थी। इसके जरिए विद्यार्थियों को कठिन विषयों की तैयारियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाया जाना था।
इन क्लासों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए कम्प्यूटर, पेन ड्राइव, नेट कनेक्शन और प्रोजेक्टर की व्यवस्था की गई थी। इनमें आठवीं तक के बच्चे शामिल थे। पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्मार्ट क्लास में पढ़ाया जाना था।
सबकुछ शुरू हुआ था, अच्छा भला चल रहा था, बीच में ही रुक गया। सवाल यह है कि रुक क्यों गया। क्या पहले से ही प्लानिंग थी कि ऐसे ऐसे करेंगे और इतना हजम करने के बाद ऐसे बंद कर देंगे। अब जब स्मार्ट क्लास शुरू ही नहीं होंगी तो इसे स्मार्ट क्लास घोटाला कैसे कहेगा।