नई दिल्ली। जिस 2जी घोटाले को लेकर देशभर में बवाल हुआ। कांग्रेस की सरकार गिर गई, दरअसल वो हुआ ही नहीं था। सीबीआई ने फर्जी केस बनाया था और कोर्ट में पेश भी किया। बहस के दौरान खुलासा हुआ कि केस तो फर्जी है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
2 जीस्पेक्ट्रम आवंटन मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों को बरी कर दिया है। सीबीआई को फटकार भी लगाई कि उसने जांच में महत्वपूर्ण दस्तावेज पर गौर ही नहीं किया। उन्हीं तथ्यों को छांटा, जिससे फर्जी चार्जशीट तैयार हो सके। ऐसा लगता है कि चार्जशीट “बाहरी कारणों’ के आधार पर तैयार की गई थी। सीबीआई ने घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों- हचीसन मैक्स, स्टर्लिंग सेलुलर और भारती सेलुलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोप था कि दूरसंचार विभाग ने 2002 में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटित कर कथित तौर पर 846.44 करोड़ रुपए का घोटाला किया लेकिन विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी ने 235 पेज के आदेश में कहा, “चार्जशीट ऐसे तैयार की गई है कि लगे कि बहुत बड़ा अपराध हुआ है। जबकि कुछ हुआ ही नहीं। अनावश्यक दस्तावेज पर कई दिन बर्बाद किए। दस्तावेज तलाशना ही केस में महत्वपूर्ण हो गया।’ सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे।
