टीकमगढ उप पंजीयक दबाये हुये गबन की फाइल

टीकमगढ। प्रदेश के टीकमगढ जिला के सहकारिता विभाग के उप पंजीयक ने समिति प्रबंधको से मिलकर बर्ष 2008 मे किसानों के नाम फर्जी ऋण दिखाकर लाखों रुपया हजम कर गये। जब इसकी पोल खुली तो बाकयदा जाॅच हुई। जाॅच मे लाखो रुपये की राशि का गबन पाया गया, दोषी समिति प्रबंधक पर 5000.00 पाॅच हजार रुपया का अर्थदण्ड देकर उप पंजीयक ने इतिश्री कर जाॅच फाइल को ठण्डे वस्ता मे डाल दिया। दोषी समिति प्रबंधक पर कार्यबाही न होने से समिति प्रबंधको के हौसले बुलंद है।

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 में केन्द्र सरकार ने नाबार्ड बैंक से ऋण राहत योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार को करोडो की राशि दी थी। ऋण राहत योजना का लाभ प्रदेश के ऐसे किसानो को दिया जाना था। जिन्होने प्राथमिक सेवा सहकारी समिति से ऋण कर्ज लिया हो उक्त राशि से ऋणी किसानो को ऋण मुक्त कर मुक्ति प्रमाण पत्र दिया जाये। नाबार्ड बैंक से पैसा आते ही तत्कालीन पूर्व उप पंजीयक टीकमगढ ने अपनी चतुराई से अपने अधीनस्थ सेवा सहकारी समिति प्रबंधको से मिलकर  ऋण राहत योजना के प्रस्ताव मे ऐसे किसानो को ऋणी बना दिया जिन्होने कभी ऋण लिया ही नही है। अपात्र किसानो के नाम पर लाखो रुपया लोन निकाल कर उप पंजीयक टीकमगढ समिति प्रबंधक डकार गये। जब इसकी पोल खुली तो जाॅच हुई। 

जाॅच अधिकारी आर0 एल0 जाटव तत्कालीन वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक से कराई गई थी, जाॅच के दौरान 1861342.00 रुपये। का अपात्र सदस्यो के नाम पर क्लेम लेना पाया गया था। जाॅच अधिकारी ने सन्दर्भित पत्रो से संस्था के संचालक मण्डल को दोषी ब्यक्ति सहायक समिति प्रबंधक मैदवारा सुरेश कुमार यादव के बिरुद्ध कार्यबाही करने को लिखा था। संचालक मण्डल द्रारा अपने प्रस्ताव दिनाॅक 23.08.20011 से रुपये 5000. का अर्थदण्ड दोषी समिति प्रबंधक पर अधौरोपित कर दण्डित किया गया था।

इसकी सूचना संचालक मण्डल द्रारा जारी किये गये। सूचना पत्र के परिपेक्ष्य में प्रेषित की गई थी। इसके बाबजूद दोषी सहायक समिति प्रबंधक मैदवारा पर कोई कार्यबाही नही की जा रही है। और उप पंजीयक टीकमगढ अधिकारी ने लाखो की गबन राशि की फाइल को ठण्डे वस्ता मे डाल कर इतिश्री कर ली। जबकि संयुक्त  आयुक्त एवं सहकारी संस्थाये सागर कार्यालय द्रारा दिनाॅक 01.04.2015 को  कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाये टीकमगढ का संचालक मण्डल को संबोधित पत्र लिख चुके है। कि निम्न पत्रो का अवलोकन करे। 

पत्र क्रमांक/सात/10/428 टीकमगढ दिनाॅक 04.09.2010 एवं पत्र क्रमांक/साख/2011/412 टीकमगढ दिनाॅक 31.03.2011 एवं पत्र क्रमांक/साख/11/1116 टीकमगढ दिनाॅक 10.08.2011 का अवलोकन करे। और दोषी समिति प्रबंधक पर बैधानिक कार्यबाही करे। लेकिन उप पंजीयक टीकमगढ बराबर प्रशासन की आॅखो मे धूल झोक कर दोषी समिति प्रबंधक मैदवारा को बचाने का प्रयास कर फाइल को छिपाये हुये है।

अब शिवराज सरकार पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। क्योकि प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन यह स्वीकार कर चुके है। कि तत्कालीन पूर्व केन्द्र सरकार द्रारा नाबार्ड बैंक द्रारा ऋण राहत योजना के तहत जो राशि किसानो के लिये आई थी, उसमे 200 करोड रुपया का गबन मध्य प्रदेश हुआ है। जिसका जबाब बिधान सभा सत्र के दौरान विपक्ष पार्टी काग्रेस को दे चुके है। कि प्रदेश मे दो सौ करोड रुपये का घोटाला हुआ है। इसके बाबजूद आज तक किसी भी दोषी समिति प्रबंधक अधिकारी कर्मचारी पर दण्डात्मक कार्यबाही क्यो नही हुई, है। सहकारिता मंत्री ने दोषियो पर एफआइआर क्यो नही कराई और अगर कार्यबाही हुई है। तो कितनो पर हुई है। सार्वजनिक क्यो नही की।

मंत्री श्री बिसेन को टीकमगढ के उप पंजीयक ने जिला मे दोषी समिति प्रबंधको की सूची से क्यो अवगत नही कराया। श्री बिसेन ने मासिक बैठक के दौरान उप पंजीयक टीकमगढ से ये क्यो नही जानना चाहा कि 200 करोड किसान घोटाले मे टीकमगढ जिले की कितनी हिस्सेदारी है। शिवराज सरकार द्रारा चुप्पी साध लेने पर अनेक सबालो का जन्म हो रहा है।

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