अध्यापकों का जबर्दस्त आन्दोलन दिनांक 13/09/2015 से 25/09/2015 तक पूर्णतया सफल रहा। सरकार को हिला कर रख दिया। भाजपा संघठन भी समीक्षा करने को मजबूर हो गया। शासन स्तर पर आन्दोलन मे शामिल हुए अध्यापकों का वेतन काटने के निर्देश दिये गए। अध्यापकों का वेतन भी काटा गया किन्तु वेतन कटने के वाद आम अध्यापक अपने आपको ठगा महसूस करने लगा। जायज भी है। येसा कतई नहीं होना चाहिए। विवरण निम्नांकित है।
1.जिन 17 अध्यापक नेताओ को शासन ने विभिन्न धाराओ के तहत गिरफ्तार किया गया था। तीन दिन तक जेल मे रखा गया था। उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह अध्यापक नेता पूर्णतया सुरक्षित रहे। नियमानुसार 36 घंटे से अधिक कोई कर्मचारी जेल मे रहता है तो शासन उसे निलंबित करती है।
2.बहुत से अध्यापक नेताओ ने आन्दोलन मे बड चढ़ कर हिस्सा लिया। भोपाल मे गिरफ्तारी देकर तिरंगा भी लहराया किन्तु आन्दोलन मे शामिल होने के पूर्व संकुल प्राचार्य से लघुकृत / मेडिकल अवकाश स्वीकृत करा लिया गया। परिणाम स्वरूप इन अध्यापकों का वेतन भी नहीं कटा एवम शासन स्तर पर कोई कार्यवाही भी नहीं हुई।
3. अध्यापक आन्दोलन को सफल बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जन शिक्षक (सीएसी), विकास खंड अकादमिक समन्वयक (बीएसी),व विकास खंड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसीसी) ने।
अध्यापक आन्दोलन मे अधिकतर प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं मे कार्यरत अध्यापकों ने भाग लिया जो जन शिक्षक, बीएसी व बीआरसीसी के अधीनस्थ कार्य करते है। इन्होने जबरदस्ती डरा-धमकाकर प्राथमिक व माध्यमिक शालाओ मे कार्यरत अध्यापको को शाला बंद करवा कर आन्दोलन मे शामिल कराया गया किन्तु बीआरसीसी जो वरिष्ठ अध्यापक के रूप मे कार्यरत है। स्वंय आन्दोलन मे शामिल नहीं हुए। समर्थन व सहयोग पूरा किया। जन शिक्षक व बीएसी अध्यापक आन्दोलन मे शामिल रहे व सक्रिय सहयोग भी दिया किंतु इनमे से किसी का भी आन्दोलन अवधि का वेतन नहीं कटा क्योंकि इनका वेतन आहरण बीआरसीसी ( जो स्वंय वरिष्ठ अध्यापक ) द्वारा किया जाता है।
कटा तो केवल उनका जो स्कूल में अध्यापक मात्र थे। जिन्होंने सीएसी या बीएसी के कहने पर स्कूल बंद रखा। ना रखता तो भी समस्या ही थी। अब प्रदेश मे कार्यरत आम अध्यापक अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। उनका स्पष्ट कहना है कि हम तो आन्दोलन मे भाग ही नहीं लेना चाहते थे। जन शिक्षक, बीएसी, बीआरसीसी ने डरा धमका कर जबर्दस्ती आन्दोलन मे शामिल कराया गया। हमारा वेतन कट गया और मुख्य भूमिका निभाने वाले अध्यापकों का वेतन नहीं कटा। जो पूर्णतया गलत है। हम अन्याय पूर्ण कार्यवाही का विरोध करते है।
एक आम अध्यापक
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