हिंदुत्व का प्रतीक था भोपाल, स्वास्तिक में बसा था शहर

भोपाल। भोपाल के इतिहास के बारे में ज्यादातर लोग बस यही जानते हैं कि यह नवाबों का शहर था। मुसलमानों का शहर था परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि यह शहर हिंदुत्व का प्रतीक हुआ करता था। इस शहर की बसाहट ही स्वास्तिक के आकार में थी जो हिंदुओं में रिद्धि सिद्धी एवं शुभ लाभ सहित श्री गणेश का प्रतीक है।

तीन साल पहले संगीत वर्मा और नेहा तिवारी की चर्चित रिसर्च के बाद भाेपाल की पुरानी बसाहट को लेकर कुछ नए तथ्य सामने आए हैं। लेखक ओमप्रकाश खुराना की किताब 'भोपाल हमारी विरासत' में इसका जिक्र किया गया है।

लेखक ने इस किताब में बताया है कि सन 1052 में भोजपाल नगर के हृदय स्थल वर्तमान चौक बाजार पर एक मंदिर बनाने का काम आरंभ किया था। उसे सभामंडल का नाम दिया गया था। सभा मंडल को केंद्र मानकर स्वास्तिक की आकृति अनुसार पक्की सड़कें बनाई गईं। 1185 में इस स्वास्तिक नगर की जनसंख्या 25 हजार थी।

मंजुल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में खुराना ने स्वास्तिक की आकृति पर पुराने शहर का स्वरूप भी दिखाया है। इस सड़क के आसपास कुशल कारीगरों ने संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए बड़े-बड़े कक्ष बनाए। यहां पांच हजार छात्र थे।

यहां आचार्य तथा गुरुकुल परिवारों के आवास भी निर्मित किए गए। इस विश्वविद्यालय का काम पूरा होने में 33 साल लगे थे। इस विश्वविद्यालय में छात्रों को चार वेद और 74 पुराणों का अध्ययन करवाया जाता था।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!