भोपाल। फर्जी भर्ती कांड में बयान दर्ज कराने आए दिग्विजय सिंह ने वापस जाते समय एक पुलिसकर्मी को धकिया दिया। यह फोटो तेजी से वायरल हुआ और सरकार को दिग्विजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई का एक और मौका मिल गया। परंतु चश्मदीदों का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने पुलिसकर्मी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे पिटने से और वहां होने वाले एक बड़े हादसे को घटित होने से बचाया।
हुआ यूं कि, दिग्विजय सिंह से 5 घंटे लम्बी पूछताछ की गई। सुबह से ही पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर दिग्विजय सिंह समर्थकों का हुजूम लगना शुरू हो गया था। जैसे जैसे दिन बढ़ता गया, समर्थकों का आक्रोश भी बढ़ता गया। इधर पुलिस बल की संख्या भी बढ़ा दी गई।
डंडों से लैस पुलिसकर्मियों को देखकर समर्थकों में तनाव फैल गया। दोनों समूहों के बीच हालात यह थे कि यदि एक भी चिंगारी सुलग जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था। समर्थकों के बीच अफवाह थी कि पुलिस हर हाल में हमला करेगी और समर्थकों का एक बड़ा वर्ग जबावी हमले की तैयारी में था।
दिग्विजय सिंह शायद इस स्थिति को भांप गए थे, इसलिए जैसे ही लाठीचार्ज शुरू हुआ, वो खुद अपनी गाड़ी से उतरे और झगड़ा शुरू कर रहे पुलिसकर्मी और कांग्रेसी कार्यकर्ता को अलग किया। इस दौरान उन्होंने दोनों को जोर से डांट भी पिलाई एवं मामला शांत किया।
हमारे पंडितों का कहना है कि दिग्विजय सिंह इतने हल्के नेताओं में नहीं हैं जो इस तरह की हरकतें करके फंस जाएं। एक लम्बा समय उन्होंने उपहास और प्रताड़नाओं के बीच काटा है। खुद पर नियंत्रण रखना उन्हें ठीक प्रकार से आता है। उन्हें फंसाने के लिए शिवराज को कोई नया और बड़ा जाल बुनना होगा।
