शिवराज ने तो निराश कर दिया, अब आंदोलन ही अंतिम रास्ता: मिश्रा

भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायतीराज आंदोलन के सूत्रधार और रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों के हित में जो घोषणाए की हैं उनमें से सिर्फ दो ही घोषणा पंचायत प्रतिनिधियों के हित में हैं लेकिन वो भी नाकाफी हैं जिसके चलते अब हमारे पास अपने अधिकारो के लिए 28 अक्टूबर को आंदोलन करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही हैं।

अभय मिश्रा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री की किसी भी पंचायत प्रतिनिधि से चर्चा नही होने दी गई और अपने स्तर पर फीडबेक देकर मुख्यमंत्री से ऐसी घोषणाए कराई गयी जिसमे मूल समस्यायों का निराकरण नही हुआ। मिश्रा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री से जो घोषणाए कराई गयी उनमें ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारीयो के अधिकार और हित प्रभावित न हो इसका ज्यादा ख्याल रखा गया।

अभय मिश्रा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री ने पंचो को 100 के स्थान पर 200 रूपये प्रति बैठक भत्ता दिए जाना और सरपंचो को गैरविवादित जमीनो के नामांत्रण का अधिकार दिए जाने की घोषणा ही पंचायतीराज के हित में की हैं जबकि पंचो के 200 रूपये भत्ता दिए जाने के स्थान पर हमारी मांग 500 रूपये प्रति बैठक दिए जाने की थी।

मिश्रा का कहना हैं कि इन दो मांगो के अलावा शेष सभी मांगे पंचायत प्रतिनिधियो को गुमराह करने वाली हैं जिला पंचायत अध्यक्ष को लालबत्ती दिए जाने की मांग हम पहले ही खारिज कर चुके हैं उसके स्थान पर सरपंचो को चेक पावर दिए जाने की मांग थी, जबकि लालबत्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते दिए जाना असंभव है। जिला एंव जनपद को विकास के लिए दिए जाने वाली राशि भले एक करोड और दो करोड कर दी गयी हैं, लेकिन उसके स्वतंत्र रूप से किर्यान्वित किए जाने के अधिकार छीन लिए गए बल्कि भोपाल में बैठे पंचायत आयुक्त रघुवीर श्रीवास्तव जिला एंव जनपद सीईओ मनमाने ढंग से अनियमितता के साथ राशि आवंटित कर रहे है।

मिश्रा का कहना हैं कि वित्तीय अनुमोदन के संबध में भी कुटिलता पूवर्क घोषणा करवाई गयी हैं जिला एंव जनपद पंचायत के पास पंचायत निधि की राशि जो कि लगभग शून्य हैं की नस्थी का अधिकार जुलाई 2007 के पूर्व के आदेश की जारी किए जाने की घोषणा की गई, जबकि जिला एंव जनपद पंचायत से संचालित होने वाली समस्त योजनाओ के अनुमोदन एंव नस्थी के अधिकार हमारे द्वारा मांगे गए थे।
मिश्रा का कहना हैं के ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओ से पंचायत के जनप्रतिनिधियों को कोई फायादा नही हुआ हैं इन घोषणाओ के बाद भी पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार पर अतिकृमण पूर्व की भांति हैं और जिस अधिकारीराज के समाप्त के लिए यह आंदोलन शुरू हुआ वह जस की तस हैं। जिसके चलते हम सभी पंचायत प्रतिनिधियो को निराशा हुई हैं और 28 अक्टूबर को राजधानी भोपाल में महाआदोलन घेरा डालो डेरा डालो करने पर विवश हैं।

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