ग्वालियर। मुकेश राठौर एनकाउंटर केस में क्राइमब्रांच पीएम रिपोर्ट के बाद फंसती नजर आ रही है। मुकेश के पीएम रिपोर्ट में शरीर पर गोली के अलावा 24 घंटे में 15 चोटों के निशान भी पाये गये हैं, इन्हीं चोटों से उसकी मौत भी संभव है। इतनी चोटों से वह भागने की स्थिति में नहीं था। ऐसी स्थिति में उसे गोली मारी गई तो गोली मारने की जरूरत क्यों पड़ गई ?
पीएम रिपोर्ट का सच यह है कि बेतहासा पिटाई के बाद एनकाउंटर की मोहर लगाने के लिये पुलिस ने गोली चलाई। आरटीआई में मृतक के भाई सुनील ने पीएम रिपोर्ट निकलवाई है। 21 अक्टूबर 2014 को मुकेष राठौर निवासी हजीरा का क्राइमब्रांच की टीम ने एएसपी प्रतिमा मैथ्यू के नेतृत्व में रक्कास पहाड़ी पर एनकाउंटर का दावा किया था। जबकि परिजनों का कहना हैं कि मुकेश को घटना से एक दिन पहले थाने में देखा गया था। इस मामले में अवधेश सिंह भदौरिया एड्वोकेट पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि यह एनकाउंटर फर्जी है। उधर एसपी हरिनारायणाचारी मिश्रा का कहना हैं कि मेरे पदभार संभालने से पूर्व ही मुकेष राठौर एनकाउंटर के सभी दस्तावेज कोर्ट में पेष कर दिये गये थे, इस मामले से संबंधित याचिका हाईकोर्ट में भी विचाराधीन हैं।
