नईदिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस बात पर दुख जताया है कि छठ पूजा में धार्मिक अनुष्ठानों की जगह नाच-गाने ने ले ली है। कोर्ट ने शुक्रवार को एक छठ पूजा आयोजक की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि गाने और डांस का छठ पूजा से कोई लेना-देना नहीं है। आयोजक ने कोर्ट से जुहू बीच पर होने वाली छठपूजा में आर्टिस्ट्स को बुलाने की अनुमति मांगी थी।
जस्टिस एस.सी. धर्माधिकारी और जस्टिस बी.पी. कोलाबवाला ने कहा,'छठ पूजा पर आप स्टेज, सिलेब्रिटीज, गाने और डांस चाहते हैं? बहुत हो गया!' मन रंगलो नाम की सांस्कृतिक संस्था ने छठ पूजा के मौके पर आर्टिस्ट्स को बुलाने के लिए याचिका दायर की थी। छठ पूजा वैसे तो बिहार का त्योहार है लेकिन यह भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस बार 17-18 नवंबर को देश भर में छठ पूजा का आयोजन किया जाएगा।
जस्टिस धर्माधिकारी ने पूछा,'पूजा की शुचिता और संजीदगी कहां है? आप बीच पर इस तरह से छठ पूजा सेलिब्रेट करेंगे कि अगले 10 दिनों तक वहां कोई जा न सके? यह आपके सेलिब्रेशन का आइडिया है? हम ऐसा नहीं होने देंगे।'
हालांकि आयोजकों का कहना था कि वे पूरी सतर्कता से इवेंट कराएंगे। फिर भी कोर्ट ने इसकी अनुमति नहीं दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि फैसला एख बड़े वर्ग के हित के लिए लिया गया है इसलिए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं कहा जा सकता।