भोपाल। व्यापमं घोटाले का विरोध जब पीक पर था तो शिवराज के कई चाटुकारों ने उन्हें बहला दिया था कि यह केवल शहरों के एक वर्ग विशेष तक ही सीमित है। गांव में व्यापमं शब्द तक को कोई नहीं जानता लेकिन अब पंचायत प्रतिनिधियों का आंदोलन शुरू हो गया। रथयात्रा निकाली जा रहीं हैं। यह आंदोलन गांव गांव में शिवराज के खिलाफ माहौल बना देगा।
पंचायत प्रतिनिधि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। समझौते के लिए 2 वार्ताएं हो चुकीं हैं परंतु दोनों बिफल। भाजपा और सरकार पंचायत प्रतिनिधियों को कटोरी में चांद देना चाहती है जबकि पंचायत प्रतिनिधि पूरे आसमां पर अधिकार मांग रहे हैं। वो कड़े संघर्ष के मूड में हैं और नंदकुमार सिंह चौहान के बयान उनकी आग को और अधिक भड़का रहे हैं।
बुधवार को राजधानी स्थित भाजपा कार्यालय में हुई पंचायत प्रतिनिधियों की वार्ता में मात्र 77 प्रतिनिधि ही आए। आंदोलन की मशाल लेकर चल रहे कई दिग्गज इस मीटिंग में आए ही नहीं। वार्ता बेनतीजा रही। शिवराज ने प्रतिनिधियों को मिलने का समय अब तक नहीं दिया और प्रतिनिधियों की रथयात्रा 15 अक्टूबर से शुरू हो गई। 28 अक्टूबर को भोपाल में डेरा डालो, घेरा डालो आंदोलन है। यदि यह आंदोलन 28 तक खिंच गया तो ब्रांड शिवराज को बड़ा नुक्सान तय है।
