लिवर दान करने वाले की लाश लावारिस रह गई

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प्रमोद त्रिवेदी/खरगोन। जिस व्यक्ति के लिवर डोनेशन की खबरें पूरे देश में छपीं। इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। लिवर को गुडगांव पहुंचाया और सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। उस लिवर को डोनेट करने वाले की लाश लावारिस ही रह गई। उसकी फिक्र किसी ने नहीं की। इंदौर के चौइथराम अस्पताल ने लाश को बंधक बना लिया। पूरे 17800 रुपए वसूले जब लाश को परिजनों को सौंपा गया। अस्पताल से घर तक पहुंचाने के बदले एंबूलेंस वाले ने भी 2800 रुपए वसूल लिए। जिस आयोजन पर पूरा इंदौर गर्व कर रहा था, अब वही इंदौर शर्म के अलावा कुछ नहीं कर सकता।

दानदाता रामेश्वर के बड़े भाई भगवान दास ने खुलासा किया कि, जब उन्होंने उधार लेकर 17 हजार 800 रुपए का बिल भर दिया उसके बाद ही चोईथराम अस्पताल प्रबंधन ने भाई का शव दिया। शव गांव ले गई एंबुलेंस के ड्राइवर ने भी किराए के नाम पर 2800 रुपए वसूल लिए। जबकि खुद कमिश्नर ने कहा था कि शव गांव पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है।

उधर, अस्पताल प्रबंधन पहले तो पैसे लेने की बात से मुकर गया, लेकिन जैसे ही पता लगा कि चुकाए गए बिल की रसीद मीडिया के पास है तो वे पैसे लौटाने की बात करने लगा। अफसोस यह भी है कि मेंदाता अस्पताल और लिवर लेने वालों ने भी रामेश्वर के परिवार को थेंक्यू तक नहीं बोला।

भगवान दास ने बताया कि चोईथराम अस्पताल में जब रामेश्वर को भर्ती कराते समय ही 10 हजार रुपए जमा करवाए लिए गए। बुधवार को उनके भाई का लिवर लेकर मेदांता की टीम रवाना हो गई, तब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से शव गांव भिजवाने की व्यवस्‍था करने को कहा।

प्रबंधन ने कहा कि पहले 17 हजार 800 रुपए का बकाया बिल चुकाओ। चूंकि उनके पास कमिश्नर का मोबाइल नंबर नहीं था, इसलिए उन्होंने इंदौर में रहने वाले अपने रिश्तेदार जयंत खेड़े से कर्ज लेकर रकम अस्पताल में जमा करवाया। शव पहुंचाने गए एम्बुलेंस के ड्राइवर ने भी किराए के नाम पर 2800 रुपए वसूल लिए।

शाम 6 बजे बोले नहीं लिया कोई पैसा
रामेश्वर खेड़े को अस्पताल में एडमिट करवाते समय परिजन ने जो राशि जमा करवाई थी उसके अलावा अस्पताल प्रबंधन ने कोई और राशि नहीं ली। करीब 30 हजार रुपए का बिल बकाया था, लेकिन परिजन ने मानवता के लिए इतना बेहतर कार्य किया है, इसलिए बगैर कोई राशि लिए उन्हें शव सौंप दिया गया।
अमित भट्ट प्रशासनिक अधिकारी, चोईथराम अस्पताल

रात 8.30 बजे... कहा लिए हैं तो लौटा देंगे
वैसे तो मरीज का तकरीबन 1 लाख 79 हजार का बिल बना था लेकिन अस्पताल ने 25 हजार ही लिए थे। लेकिन अब हम वह भी लौटा देंगे, बतौर सहायता के। साथ ही रामेश्वर खेड़े के दृष्टिहीन भतीजे का नेत्र प्रत्यारोपण अस्पताल मुफ्त करेगा। वहीं खेड़े की पत्नी व चारों बच्चों का डिस्काउंटेड हेल्थ कार्ड बनाएंगे
डॉ.अमित भट्टृ, प्रशासनिक अधिकारी, चोईथराम हॉस्पिटल
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