मुश्ताक खान। अध्यापक की मृ्त्यु होने पर दुख मे डूबे परिवार को सरकार दरदर भटकने को मजबूर करती है। अनुकंपा नियुक्ति के लिए अमानवीय नियम ना जाने कितने अध्यापक परिवारो का भविष्य बर्बाद कर चुके है।
मध्यप्रदेश में ऐसे कितने विभाग है जिसमे अनुकम्पा नियुक्ति हेतु डिग्री व पात्रता परीक्षा पास होने का बंधन रखा गया है? शायद कोई विभाग में ऐसा नहीं है एवं मृतक की आश्रित को उसकी योग्यतानुसार कोई न कोई पद देकर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है। अनुकंपा का अर्थ ही यही है, तत्काल राहत के लिए योग्यता के अनुसार काम दे देना।
यदि शासन और शिक्षा विभाग की मंशा यही है की यदि आश्रित को संविदा शिक्षक पद पर रखने हेतु योग्यता आवश्यक है व आश्रित संविदा शिक्षक की शैक्षणिक पात्रता रखता है तो शिक्षा विभाग क्यों ना अन्य संविदा शिक्षको की भाँत आश्रिता को बीएड/डीएड नही करवा सकती। यदि अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आश्रित को डिग्री धारी व पात्रता परीक्षा नियुक्ति पूर्व ही करनी आवश्यक है तो उस नियुक्ति को अनुकम्पा नियुक्ति क्यों कहा जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति इतनी पात्रताए पूर्ण करता है तो वो बिना किसी अनुकंपा के स्वयं ही संविदा शिक्षक बन सकता है। फिर विभाग अनुकम्पा नियुक्ति देने का दिखावा क्यों कर रही है?
एक और नियम शायद सरकार व विभाग भूल रहा है अनुकम्पा नियुक्ति सदेव नियमित पद पर नियमित रूप से दी जाती है परन्तु पिछले कुछ वर्षो से संविदा पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति की जा रही है एवं अनुकम्पा से नियुक्त अभ्यार्थियों को अनुकम्पा का विशेष लाभ भी नहीं दिया जा रहा। समस्त अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त अभ्यार्थी भी अन्य संविदा शिक्षको की भाँती अनियमित रूप से सेवा दे रहे है एवं उनकों अनुकम्पा नियुक्ति का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कुछ प्रश्न--
1 . क्या किसी अध्यापक को पता होता है की वो अब मरने वाला है तो पहले से अपने परिवार के सदस्य को डीएड/बीएड करवा के रखे ?
2. वर्तमान में 5 से 22 हजार कमाने वाला संविदा/अध्यापक यदि अपनी पत्नी व बच्चो को प्रशिक्षण प्राप्त कराने की भारी भरकम फीस एक दो लाख रूपये दे सकते तो दरदर भटकने की जरूरत ही क्या होती ?
3. जब अप्रशिक्षित संविदा को सरकारी खर्च पर वेतन के साथ प्रशिक्षण दिया जा सकता है तो अनुकंपा नियुक्ति वालो को क्यो नही ??
4.यदि उक्त आदेश को यथावत रखना है तो सरकार समस्त संविदा/अध्यापको की संविदा शिक्षक की शैक्षणिक पात्रता धारी आश्रितों को अभी से शासकीय खर्च पर प्रशिक्षित क्यों नही कर रही??
5.जिन संविदा/अध्यापको की पत्नियां और बच्चे कम पढे-लिखे है उनके लिए शासन व शिक्षा विभाग ने क्या सोचा है क्या शासन व शिक्षा विभाग ऐसे गुरुजनों के आश्रितों को दर-दर भटका कर भीख मंगवाना चाहती है??
6. पिछले कुछ दिनों में हमारे कई साथी दिवंगत हो चुके है एवं उक्त अनुकम्पा नियुक्ति के विसंगति पूर्ण आदेश के कारण उनका परिवार दर-दर की ठोकरे खा रहा है ऐसे परिवार के लिए शासन व शिक्षा विभाग क्या कदम उठा रहा है??
7. वर्तमान सुविधाओ में संविदा शिक्षक/अध्यापक संवर्ग को न बीमा दिया जाता ना अर्धवार्षिक पेंशन का लाभ ना कोई ग्रेचुटी और न ही कोई नियमित वेतन भत्तो की सुविधा अब ऐसी स्थिति में दिवंगत संविदा शिक्षक/अध्यापक की विधवा व आश्रित केसे अपना जीवन सुचारू रूप से यापन कर सकते है??
शासन व शिक्षा विभाग से समस्त संविदा शिक्षको/अध्यापको की और से निवेदन करना चाहता हूँ की मध्यप्रदेश का गुरु जीवित रहते हुए तो इतने असंगत कष्ट उठा रहा है कम से कम अनुकम्पा नियुक्ति जैसे गंभीर मामले में मानवीयता का उपयोग करते हुए सरल से सरल नियम बनाकर उनके आश्रितों को अन्य विभागानुसार लाभ देने सम्बन्धी दिशा निर्देश जारी किये जाए ताकि संविदा शिक्षक/अध्यापक को मरते समय अपने परिवार की चिंता की चिंता न सताए व उसकी आत्मा को शान्ति व मोक्ष मिल सके।
दोस्तों ये पोस्ट उन सभी दिवंगत साथियो के परिवार को समर्पित है जिनके परिवार शिक्षा विभाग के द्वारा किये गए आदेश जिसमे सिर्फ डिग्री धारी व पात्रता परीक्षा धारी को अनुकम्पा नियुक्ति देने का तुगलकी फरमान जारी हुआ है जिसके कारण वर्तमान में दिवंगत गुरुओ के आश्रित दर-दर भटकने को मजबूर है।
आपका मित्र
मुश्ताक खान
भोपाल।
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