रिश्वत में अस्मत मांगने वाले अफसर को जेल

जोधपुर। हाईकोर्ट ने पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार गोविंद कलवानी को एक महिला डॉक्टर से रिश्वत में अस्मत मांगने का अपराधी पाते हुए 4 साल के लिए जेल भेज दिया है, लेकिन इससे पहले तक आरोपी गोविंद बड़ा कांफीडेंट था। उसका दावा था कि उसे सजा नहीं हो सकती, क्योंकि उसने रिश्वत में पैसे नहीं मांगे।

विरोधी वकील ने कोर्ट को बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 11 भी यही कहती है कि आरोपी ने किसी से उसकी मूल्यवान वस्तु की मांग भी की है तो वह सजा का भागीदार होगा।

बहस के मुख्य बिंदु भी यही थे। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश राम सुरेश प्रसाद ने अपने फैसला में कहा कि इन धाराओं के तहत आरोपी का महिला डॉक्टर से पैसे अथवा उसकी अस्मत मांगना आपराधिक भ्रष्ट दुराचरण है, इसलिए आरोपी के प्रति नरमी बरतना न्यायोचित नहीं है।

यह देखो दुस्साहस
कलवानी को खुद के रसूखात पर इतना भरोसा था कि 18 अक्टूबर को महिला डॉक्टर से रिश्वत में अस्मत मांगने के दौरान यह पता चलने पर कि वहां तत्कालीन अति. संभागीय आयुक्त प्रभा टाक मौजूद थीं, तीसरे दिन फिर वही बात करने क्लीनिक पहुंच गया। एसीबी कोर्ट में पेश की गई इस मामले की चार्जशीट में लिखा है कि 18 अक्टूबर 2002 को पहली बार डॉक्टर से मिलने के बाद 21 अक्टूबर को दुबारा गोविंद कलवानी क्लीनिक पर पहुंचा।

उसने डॉक्टर को सीधे कहा कि डॉक्टर साहब, आपने मेरे प्रपोजल के बारे में क्या सोचा है? इस पर महिला डॉक्टर ने उसकी बातें रिकाॅर्ड करने के लिए चाय पीने बैठाया और उनके पति ने बातें रिकाॅर्ड करना शुरू की। कलवानी ने बोलना शुरू किया मैं अभी आपकी मदान साहब से बात करवा देता हूं। वो शायद आपको जयपुर आने का बोलेंगे, तो आपको मेरे साथ जयपुर चलना पड़ेगा। या तो जब यहां आएंगे तो आपको एक रात...। लेकिन मैं फिर कहता हूं कि उससे पहले मेरे साथ एक रात...। फिर कहा कि मैंने मदान साहब से बात कर ली है। उनकी नजर आप पर है। क्यों न हो? आप खूबसूरत जो हैं। इसके बाद कलवानी ने फोन लगा कर कहा कि मदान साहब आपको डॉक्टर साहब की हेल्प करनी है। बाकी बात मैं आपसे बाद में करुंगा। 

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