ग्वालियर। मप्र की प्रशासनिक व्यवस्थाएं कितनी चुस्त दुरुस्त हैं। यह मामला इसका बेहतरीन उदाहरण है। एक फाइल को 2 किलोमीटर का सफर तय करने में 5 माह लग गए। वो भी तब जब फाइल सरकारी थी। किसी किसान का आवेदन नहीं था।
मामला रवि नगर स्थित जीडीए के पुराने भवन का है। जीडीए वहां नया निर्माण करना चाहता है। जीडीए ने नगरनिगम से अनुमति मांगी तो निगम ने मामला फायर ब्रिगेड के पास भेज दिया। फायर ब्रिग्रेड विभाग ने इस फाइल को 5 महीने तक लटकाए रखा और फिर इंकार कर दिया।
अप्रैल में किया था आवेदन
जीडीए ने भवन बनाने की अनुमति के लिए अप्रैल में निगम को आवेदन किया था। इस पर यह कहकर आपत्ति लगा दी गई कि पहले फायर ब्रिगेड की अनुमति ली जाए। जीडीए अधिकारियों को इसलिए आश्चर्य हुआ, क्योंकि फायर ब्रिगेड भी निगम का ही विभाग है। खैर, जीडीए ने 20 अप्रैल को फायर ब्रिगेड को पत्र भेजा। चार माह से अधिक समय तक यह पत्र आगे नहीं बढ़ा। जब जीडीए अधिकारियों ने चक्कर काटे, तब 11 सितम्बर को फायर ब्रिगेड से जीडीए में पत्र भेजा गया। इसमें उल्लेख है कि जीडीए 70 हजार रुपए जमा कराए। उसके बाद निरीक्षण होगा, तभी अनुमति दी जा सकेगी। जीडीए ने यह राशि भी जमा करा दी, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिल सकी।