बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की मान्यता का फैसला 4 तक

सागर। हाईकोर्ट जबलपुर के चीफ जस्टिस एएम खानविलकर एवं जस्टिस केशव कुमार त्रिवेदी की कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह 4 नवंबर तक बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर निर्णय लेकर आदेश जारी करे।

इसके पहले कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को कॉलेज की कमियां दूर करने और एमसीआई को कॉलेज का फिर से निरीक्षण करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को फिर होगी।

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) की मान्यता और सत्र 2015-16 में प्रवेश पर रोक के बाद विधायक शैलेंद्र जैन सहित दो अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में अगले 7 दिन में निर्णय लेकर मान्यता संबंधी आदेश जारी करे।

करीब 1 घंटे तक चली सुनवाई के दौरान एमसीआई ने कॉलेज की 13 कमियों को लेकर मान्यता न देने पर कई तर्क दिए। इसके बाद स्पेशल बैंच ने एमसीआई को आदेश दिया कि वह बीएमसी का फिर से निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सबमिट करे। इसके साथ ही राज्य सरकार एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को आदेशित किया गया है कि बीएमसी में एमसीआई द्वारा बताई गई कमियों को आवश्यक रूप से एक माह के अंदर दूर करे। एमसीआई बीएमसी की कमियों के बारे में मप्र शासन के प्रमुख सचिव से अंडरटेकिंग लेकर कमियों को 30 दिन में पूरा करने की मॉनीटरिंग करे।

केंद्र को बताएं कि बीएमसी सरकारी कॉलेज है
एमसीआई के अधिवक्ता अनूप नायर ने एक दिन पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान इंदौर हाईकोर्ट बैंच के अंतिम आदेश और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे खारिज करने का तर्क दिया था। इस मामले में चीफ जस्टिस ने बुधवार को एमसीआई से कहा कि वह अपनी निरीक्षण रिपोर्ट भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत करते समय यह आवश्यक रूप से बताए कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज विशुद्घ रूप से सरकारी मेडिकल कॉलेज है। उक्त कॉलेज का संचालन एवं नियंत्रण सरकार द्वारा किया जा रहा है। कोर्ट में एमसीआई की ओर से शासकीय अधिवक्ता अनूप नायर, भारत सरकार की ओर से अधिवक्ता विक्रम सिंह एवं राज्य सरकार की ओर से आशीष बर्नाड ने अपना पक्ष रखा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया
विधायक शैलेंद्र जैन की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ एवं रामेश्वर पी सिंह ने एमसीआई, भारत सरकार के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि वे जिन कॉलेजों और इंदौर बैंच के अंतरिम आदेश की बात कर रहे हैं, वह मामला प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने से संबंधित था। यह मामला सरकारी मेडिकल कॉलेज की मान्यता का है। यहां पर पिछले छह सालों से बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। पहले बैच के डॉक्टरों के एमसीआई ने रजिस्ट्रेशन भी अटका दिए हैं। करीब 500 बच्चों के भविष्य का सवाल है।

बीएमसी जुटा तैयारियों में
हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा बीएमसी प्रशासन पिछले 15 दिन से एमसीआई द्वारा बताई गई कमियों को दूर करने में जुटा है। एमसीआई द्वारा बताई गई फैकल्टी की कमी तो शासन स्तर का मामला है, जबकि रेसिडेंट डॉक्टरों की कमी जिला अस्पताल ने पूरी कर दी है। इसके अलावा कॉर्डियक आईसीयू, सेंट्रल स्टरलाइजेशन यूनिट, ऑपरेशन थिएटर यूनिट को शुरू करने की तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है। कैजुअल्टी, रेडियोलॉजी यूनिट में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन, एईआरबी से रेडिएशन का लाइसेंस सहित पैरामेडिकल स्टाफ की पूर्ति अभी भी चुनौती है। अब यह माना जा रहा है कि बीएमसी में एमसीआई अगले हफ्ते सोमवार के बाद कभी भी आ सकती है।

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