भोपाल। मप्र में शुरू हुई ऑनलाइन स्टम्पिंग में 12 करोड़ की घूसखोरी का आरोप सामने आया है। घूस देकर लौटे एक सर्विस प्रोवाइडर ने बताया कि लाइसेंस प्राप्त करने के लिए उसे 12 हजार रुपए घूस देनी पड़ी। यदि वो घूस नहीं देता तो लाइसेंस भी नहीं मिलता। यह खेल खुलेआम चल रहा है। यदि पूरे प्रदेश में बांटे गए लाइसेंस से घूस की रकम का गुणा किया जाए तो करीब 12 करोड़ की घूसखोरी हो चुकी है, जो लगातार जारी है। पढ़िए यह ईमेल जो पीड़ित ने दुखी होकर सेंड किया:
महोदय,
मध्यप्रदेश की सरकार ने जनता की सुविधा के लिए जुलाई 2015 से पंजीयन का कार्य ऑनलाइन कर दिया है किन्तु सर्विस प्रोवाइडर यानि ऑनलाइन स्टम्पिंग का करने हतु जो लाइसेंस विभाग द्वारा दिया जा रहा है। उसमे 10 से 20 हजार प्रति लाइसेंस के हिसाब से जिला पंजीयक द्वारा घूस ली जा रही है और इस कार्य मे पूरा विभाग शामिल है।
सभी 51 जिलों मे 50 से 150 के लगभग लाइसेंस जारी किये गए है, यानी लगभग 10 से 12 करोड़ की घूस डकार कर बड़े आराम से जीरो टॉलरेंस वाली गवर्मेंट चल रही है, और यही सर्विस प्रोवाइडर जनता से अपना खर्चा निकलते हुए 100 का स्टाम्प 200 और 500 का स्टाम्प 1000 रुपये मे प्रदान किया जा रहा है। ऐसी लूट के खिलाफ अगर सरकार कार्यवाही नहीं करती तो सरकार भी इस लुट मे शामिल लगती है।